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7 Aug 2021 · 1 min read

अगर न डरता चूहा(बाल कविता)

*अगर न डरता चूहा(बाल कविता)*
■■■■■■■■■■■■■■■■■
अगर न डरता चूहा हमसे
उल्टा हम पर चढ़ता,
अगर डाँटते कुत्ते को तो
भौं भौं-भौं-भौं करता।

टस से मस न हुई छिपकली
ताव दिखाती बिल्ली ,
तब शामत आ जाती अपनी
दिन में दिखती दिल्ली ।

भला हुआ जो चूहा-बिल्ली
कुत्ता हमसे डरते
वरना सोचो रोज लड़ाई
इनसे कैसे लड़ते !
—————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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