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17 Oct 2022 · 1 min read

अक्सर

जब-जब भी सहलाने निकले
चौंकन्ने हर छाले निकले

जमते पाये खून के आँसू
हम खुद को बहलाने निकले

समय बेचारा रूका मिला था
यादों भरे थे आले निकले

खंजर छाती पर पाया था
जब उनको समझाने निकले

रश्मि लहर

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 75 Views
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