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14 Nov 2022 · 1 min read

अकेले-अकेले

प्रकाशित किये दीप हमने अकेले
सफर तय किया बस अकेले -अकेले

कहाॅं कोई रिश्ता जुड़ा अब मिला था
चुराई निगाहें सभी ने अकेले..

लगा रोशनी तुम तलक भी गई पर
थे परछाईं में तुम अकेले-अकेले

वो ऑंसू था नमकीन छलका जरा था
बहुत कड़ुवापन था सहेजे अकेले..

थी महफ़िल बहुत अपनेपन से भरी वो
मिले पर थे सबके बसेरे अकेले

था मीरा को गिरधर का फिर भी सहारा
और हमने पिया था ज़हर ये अकेले

तुम्हारी थी बातें समंदर के मन में
हुई पानी पानी ‘लहर’ ये अकेले

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

Language: Hindi
Tag: ग़ज़ल
1 Like · 43 Views
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