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26 Jul 2024 · 1 min read

अंधेरे में छिपे उजाले हो

मय के छलकते प्याले हो
अंधेरे में छिपे उजाले हो।

चन्द्रमा खेलता बादल में
छुपता,हंसता आंचल में
चांदनी नहलाती धरती को
सुकून बिखेरती धरातल में

रंग बिरंगे उड़ते गुब्बारे हो
अंधेरे में छिपे उजाले हो ।

लहजे में रस टपकता है
तु गुलाब सा महकता है
दिल दरिया सा है तेरा
तु हर बात समझता है

हर कदम पर सम्भाले हो
अंधेरे में छिपे उजाले हो

जगमगाते हुए सितारें हो
आंखों में बसे फव्वारे हो
इक झलक से दुख दूर हो
क्या कहें कितने प्यारे हो

दुखों से मुझे निकालें हो
अंधेरे में छिपे उजाले हो

नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर

Language: Hindi
64 Views
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