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24 Nov 2022 · 1 min read

अंजामे-इश्क मेरे दोस्त

अंजामे-इश्क मेरे दोस्त , होता है अंत में ऐसा।
कोई बदनाम और बर्बाद, इश्क के अंत में ऐसा।।
अंजामे- इश्क मेरे दोस्त—————-।।

मचल जाते हैं दीवाने, हसीन फूलों को देखकर।
इकट्ठे कर लेते हैं, चमन से फूल ये चुनकर।।
मुरझा जाते हैं जब ये गुल,करते हैं हाल ये ऐसा।
अंजामे- इश्क मेरे दोस्त—————-।।

इश्क क्यों नहीं होता है, कभी काले मुखड़ों से।
करते हैं दोस्ती तो लोग, फकत गौर ही मुखड़ों से।।
करते क्यों नहीं है इनकार, बहिन को करने से ऐसा।
अंजामे- इश्क मेरे दोस्त—————–।।

अपने माँ बाप को क्या तुम, मार दोगे मोहब्बत में।
बेच दोगे वतन अपना, इतना गिरकर मोहब्बत में।।
गाली नहीं दे रहा तुमको, समझना भी नहीं ऐसा।
अंजामे- इश्क मेरे दोस्त—————–।।

मगर पछतावोगे बहुत तुम, करोगे प्यार अगर ऐसे।
असर होगा जरूर कल को,तुम्हारे बच्चों पर इससे।।
करेंगे वो भी यही कर्म, देखकर कदम तुम्हारा ऐसा।
अंजामे- इश्क मेरे दोस्त—————–।।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
64 Views
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