Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Apr 2022 · 3 min read

💐💐प्रेम की राह पर-18💐💐

28- और कितना ठहरुँ।बे-वज़ह ठहरकर अपने मन को पंकिल सदृश कर लूँ।यह उदासीनता मुझे मेरी निर्भीक शालीनता से तिलांजलि दिला देगी।मेरी शान्ति में भी क्रान्ति छिड़ी हुई है।निराधार उत्साह का सेतु है जो कभी भी गिर सकता है।मेरे लिए तो चन्द्रमा ने अपनी चाँदनी भी छिपा ली है।मौन कभी-कभी बोलता है और चुप होकर अपनी सिद्धि कर लेता है।नितान्त श्रम अभाव के बाबजूद भी श्रम जैसी थकान का बहु अनुभव होता है।चिन्तन हो तो किसका तुम ही चिन्ता बनकर बैठ गए हो।मस्ज़िद के सामने लगे गुलाब पर नज़र गई तो ऐसा लगा कि उसने कहा हो ,’ए अछूते,तुम प्रेमपाश में बंध तो गए, फिर भी स्पर्श तब भी न मिला।’बहुत कोसा मैंने अपने को।आख़िर मैं अछूता रहा क्यों?किस अपराध की अभिप्रेरणा से इस अछूते पन को स्वीकार कर लिया है मैंने।दुनिया में उस व्यक्ति का क्या दोष जो प्रेम के प्रथम आकर्षण का शिकार हुआ होगा।हाँ,दूसरे पक्ष की मखौल का तो दोष जरूर है।जिसने या तो प्रेम का स्वाद चखा ही नहीं या वह प्रेम में बेईमान प्रवृत्ति का है।वह उस सौदे को नहीं जानता है जिसे प्रेम में पुण्य भावना से किया जाता है।हे मित्र!तुम भी बेईमान से क्या कम हो।अभी तक मेरी प्रसन्नता के लिए कोई भी ईमानदारी का विनिमय प्रस्तुत न किया।सिवाय इसके कि अकेले ही बार-बार मज़ाक की माला मेरे गले में दूर से ही फेंक दी कि कहीं ऐसा न हो कि अछूत को छूकर मेरी बेईमानी महा बेईमानी में बदल जाएँ।मेरे कर्मों के निष्पन्न होने की गति को प्रेमाछूत होने के कारण बहुत बुरा अनुभव होता है।कार्य के कराने की प्रेरणा को उसका प्रेम कह सकते हैं।जीता जागता हुआ मानव शिला बन गया हूँ।तुम राम जैसे मेरे समीप आकर मुझे स्पर्श कर पुनः मानव बनाओगे न।तो मैं क्या शिला ही बना रहूँगा।तो फिर शिला को मूर्ति बनाकर साधक जैसा ही स्पर्श दे दो।हे मित्र!मुझे इन प्रेम साधना का परिणाम कब दोगे।मेरे प्रेम की शाद्बिकता सार्थक कब होगी।हृदय इस देह से अलग कर क्या तुम्हें उसे दिखा दूँ।दिखा दूँ कि उसके कोटर में एक छोटा सा स्थान तुम्हारा भी है।तो फिर जब तुम्हारा स्थान पक्का हो गया तो तुम भी तो स्वतः ज्ञात कर सकते हो इस प्रेमार्थ को।इस सगोप प्रेम की परिभाषा को स्वानुसार प्रकट कर सकोगे।ज्ञान की असली आधारिक भावना की पहचान प्रेमपथ पर चल कर ही होती है फिर वह प्रेम हो चाहे ईश्वर विषयक या जीव विषयक।यह तभी होगा जब आधृत प्रेम को तुमने कभी परखा हो।चिन्मय हो जाना उस प्रेमोपासक के लिए ही सम्भव है जो शत्रु में भी प्रेम के दर्शन कर ले।तो हे मित्र!तुम अगर मेरे सुझाव को मानकर मुझे शत्रु ही समझ लो।फिर प्रेम को तो तुम देख ही लोगे।तुम उस विकार को कभी भी न त्याग सकोगे कि जिससे किसी जीव के चेहरे को देखकर उसमें तमाम कमियाँ सोचने से पाप लग जाता है।तुम कितने प्रगतिशील हो उस इर्ष्या के स्व भंडार में तो कितनी निराशा उपसंहार में मिलेगी इसका प्रमाण पत्र भविष्य के गर्भ में छिपा है तुम्हारा।सृजनात्मक सोच का परिणाम तब आएगा जब वह सार्थक आधार के साथ और सम्पूर्ण समर्पण के भाव लिए हो।इसके परिणाम में तुम्हारा कार्य की पूर्णता के प्रति तुम्हारा प्रेम ही तो होगा।खोजते-खोजते तुम मिले और तुमने मेरे प्रेम को कभी न खोजा।हाय!अब बसन्त कभी न आ सकेगा मेरे जीवन में।हाय!तुम्हारी निष्ठुरता की छुरी ने मेरे सभी अरमानों का क़त्ल कर दिया है।क्या सोचूँ तुम्हारे प्रति, तुम शत्रु हो या मेरे प्रेमी।शत्रु तो सामने से वार कर मार डालता है,मृत्यु का भी आलिंगन नहीं करने दे रहे हो।तुम तक पहुँचने के लिए किस देवता को मनाऊँ।तुमने कोई नया देवता रच दिया हो तो उसे आजमा कर देखूँ।हे मित्र!मेरा ईश्वर तो प्रेम का प्यासा है और तुम्हारा निष्ठुरता का।तो अपने ईश्वर से मुझे निष्ठुरता देने के लिए कहो।हे मित्र तुमसे वह भी नहीं होगा।तुम विशुद्ध मतलबी हो।मूर्ख कहीं के।

©अभिषेक: पाराशर:

Language: Hindi
1 Like · 569 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुशी पाने का जरिया दौलत हो नहीं सकता
खुशी पाने का जरिया दौलत हो नहीं सकता
नूरफातिमा खातून नूरी
चन्द ख्वाब
चन्द ख्वाब
Kshma Urmila
गिलहरी
गिलहरी
Satish Srijan
सरकार
सरकार "सीटों" से बनती है
*Author प्रणय प्रभात*
आसां  है  चाहना  पाना मुमकिन नहीं !
आसां है चाहना पाना मुमकिन नहीं !
Sushmita Singh
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
श्रम दिवस
श्रम दिवस
SATPAL CHAUHAN
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
तुलसी न होते तो न, होती लोकप्रिय कथा (घनाक्षरी)
तुलसी न होते तो न, होती लोकप्रिय कथा (घनाक्षरी)
Ravi Prakash
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन्।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन्।
Anand Kumar
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
Rituraj shivem verma
दोहा- सरस्वती
दोहा- सरस्वती
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
Neelam Sharma
धर्म, ईश्वर और पैगम्बर
धर्म, ईश्वर और पैगम्बर
Dr MusafiR BaithA
पापा आपकी बहुत याद आती है
पापा आपकी बहुत याद आती है
Kuldeep mishra (KD)
विनाश की जड़ 'क्रोध' ।
विनाश की जड़ 'क्रोध' ।
Buddha Prakash
रिटायमेंट (शब्द चित्र)
रिटायमेंट (शब्द चित्र)
Suryakant Dwivedi
💐अज्ञात के प्रति-37💐
💐अज्ञात के प्रति-37💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वो पुराने सुहाने दिन....
वो पुराने सुहाने दिन....
Santosh Soni
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
gurudeenverma198
23/128.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/128.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गणतंत्रता दिवस
गणतंत्रता दिवस
Surya Barman
होली है!
होली है!
Dr. Shailendra Kumar Gupta
शायरी
शायरी
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
Atul "Krishn"
चंदा का अर्थशास्त्र
चंदा का अर्थशास्त्र
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हमनें ख़ामोश
हमनें ख़ामोश
Dr fauzia Naseem shad
अलविदा नहीं
अलविदा नहीं
Pratibha Pandey
ज्ञान का अर्थ
ज्ञान का अर्थ
ओंकार मिश्र
Loading...