Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2017 · 1 min read

ग़ज़ल

आदमी को यकबयक क्या सुरूर हो गया,
खुद से खुद जाने कैसे वह दूर हो गया ।
इन्सानियत में इतनी दुश्वारियां तो न थीं,
फिर छोड़ने को क्यों कर मज़बूर हो गया ।
शौकौ सोहबत में जो पी ली थी एक दिन,
फिर तो रोज-ब-रोज ये दस्तूर हो गया ।
बदनामियों में वह उलझा रहा इस तरह,
बैठे बिठाए देखिए मशहूर हो गया ।
ईमान की राह में जो नुकसान देखकर,
सच मानिए ईमान से वह दूर हो गया ।
मराहिले-मंजिल वह चढ़ता रहा इस कदर,
पाकर वकार देखिए मगरूर हो गया ।
-अशोक सोनी

266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
محبّت عام کرتا ہوں
محبّت عام کرتا ہوں
अरशद रसूल बदायूंनी
रास्तो के पार जाना है
रास्तो के पार जाना है
Vaishaligoel
मांगने से रोशनी मिलेगी ना कभी
मांगने से रोशनी मिलेगी ना कभी
Slok maurya "umang"
■ मंगलकामनाएं
■ मंगलकामनाएं
*Author प्रणय प्रभात*
महाराणा सांगा
महाराणा सांगा
Ajay Shekhavat
क्रिकेट
क्रिकेट
SHAMA PARVEEN
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
उदासियाँ  भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं
उदासियाँ भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं
_सुलेखा.
क्या ?
क्या ?
Dinesh Kumar Gangwar
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
चाय
चाय
Rajeev Dutta
देश आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा,
देश आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा,
पूर्वार्थ
उतार देती हैं
उतार देती हैं
Dr fauzia Naseem shad
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
एक आज़ाद परिंदा
एक आज़ाद परिंदा
Shekhar Chandra Mitra
*वरिष्ठ नागरिक (हास्य कुंडलिया)*
*वरिष्ठ नागरिक (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
दर्द और जिंदगी
दर्द और जिंदगी
Rakesh Rastogi
Next
Next
Rajan Sharma
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
Shashi kala vyas
मेरा प्रेम के प्रति सम्मान
मेरा प्रेम के प्रति सम्मान
Ms.Ankit Halke jha
विषय -घर
विषय -घर
rekha mohan
किसके हाथों में थामो गे जिंदगी अपनी
किसके हाथों में थामो गे जिंदगी अपनी
कवि दीपक बवेजा
कन्या रूपी माँ अम्बे
कन्या रूपी माँ अम्बे
Kanchan Khanna
मिथकीय/काल्पनिक/गप कथाओं में अक्सर तर्क की रक्षा नहीं हो पात
मिथकीय/काल्पनिक/गप कथाओं में अक्सर तर्क की रक्षा नहीं हो पात
Dr MusafiR BaithA
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
Phool gufran
2797. *पूर्णिका*
2797. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी तूने  ख्वाब दिखाकर
जिंदगी तूने ख्वाब दिखाकर
goutam shaw
भारत माता की वंदना
भारत माता की वंदना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अपभ्रंश-अवहट्ट से,
अपभ्रंश-अवहट्ट से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
💃युवती💃
💃युवती💃
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
Loading...