Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Sep 2016 · 1 min read

ग़ज़ल- ये स्वप्न ही हमें तो रुलाते हैं आजकल

ग़ज़ल- ये स्वप्न ही हमें तो रुलाते हैं आजकल
मापनी- 221 2121 1221 212
——————————————–
यूँ ही हजार स्वप्न सजाते हैं आजकल
ये स्वप्न ही हमें तो रुलाते हैं आजकल

इक जानवर का खोल जो है ढोल बन गया
खुशियाँ मिले तो लोग बजाते हैं आजकल

वादा तो उनसे एक निभाया नहीं गया
जाने हमें क्यूँ पास बुलाते हैं आजकल

दौलत हो तेरे पास तो फिर ठीक है मगर
यूँ ही कहाँ वे प्यार लुटाते हैं आजकल

हमने कहा कि हम तो कुवाँरे नहीं मगर
फिर भी हमीं से प्यार जताते हैं आजकल

जबसे “आकाश” हमने हमसफर तुझे चुना
कब दिल की कोई बात छिपाते हैं आजकल

– आकाश महेशपुरी

287 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
शेखर सिंह
विचारों को पढ़ कर छोड़ देने से जीवन मे कोई बदलाव नही आता क्य
विचारों को पढ़ कर छोड़ देने से जीवन मे कोई बदलाव नही आता क्य
Rituraj shivem verma
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
Dr MusafiR BaithA
भ्रूणहत्या
भ्रूणहत्या
Neeraj Agarwal
हे परम पिता !
हे परम पिता !
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जुबां बोल भी नहीं पाती है।
जुबां बोल भी नहीं पाती है।
नेताम आर सी
प्रकृति का अनुपम उपहार है जीवन
प्रकृति का अनुपम उपहार है जीवन
Er. Sanjay Shrivastava
"चाँदनी रातें"
Pushpraj Anant
ब्यूटी विद ब्रेन
ब्यूटी विद ब्रेन
Shekhar Chandra Mitra
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बुद्धिमान हर बात पर,
बुद्धिमान हर बात पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
" एक थी बुआ भतेरी "
Dr Meenu Poonia
"कवि तो वही"
Dr. Kishan tandon kranti
*
*"गौतम बुद्ध"*
Shashi kala vyas
मैं कितना अकेला था....!
मैं कितना अकेला था....!
भवेश
ना जाने कौन सी डिग्रियाँ है तुम्हारे पास
ना जाने कौन सी डिग्रियाँ है तुम्हारे पास
Gouri tiwari
ज़िन्दगी में अगर ऑंख बंद कर किसी पर विश्वास कर लेते हैं तो
ज़िन्दगी में अगर ऑंख बंद कर किसी पर विश्वास कर लेते हैं तो
Paras Nath Jha
हिंदी है पहचान
हिंदी है पहचान
Seema gupta,Alwar
2676.*पूर्णिका*
2676.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नियम पुराना
नियम पुराना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म (कुंडलिया)
खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म (कुंडलिया)
Ravi Prakash
!! ये सच है कि !!
!! ये सच है कि !!
Chunnu Lal Gupta
शिक्षा
शिक्षा
Buddha Prakash
हो देवों के देव तुम, नहीं आदि-अवसान।
हो देवों के देव तुम, नहीं आदि-अवसान।
डॉ.सीमा अग्रवाल
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
उपकार माईया का
उपकार माईया का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
खुद में हैं सब अधूरे
खुद में हैं सब अधूरे
Dr fauzia Naseem shad
घणो लागे मनैं प्यारो, सखी यो सासरो मारो
घणो लागे मनैं प्यारो, सखी यो सासरो मारो
gurudeenverma198
घाव
घाव
अखिलेश 'अखिल'
न जाने क्या ज़माना चाहता है
न जाने क्या ज़माना चाहता है
Dr. Alpana Suhasini
Loading...