हाँ, अब मैं ऐसा ही हूँ
हाँ, अब मैं बड़ा हो गया हूँ ,
नहीं हूँ अब मैं छोटा बच्चा,
बहुत पढ़ा-लिखा हूँ मैं अब,
होशियार और पहले से अच्छा,
जीता हूँ अब मैं शान से,
हाँ, मैं अब ऐसा ही हूँ।
नहीं हूँ अब मैं मजबूर,
नहीं करता प्यार अब स्वार्थियों से,
नफरत मुझको उन इन्सानों से,
जो करते हैं चालाकी दूसरों से,
मारता ठोकर ऐसे लोग को,
हाँ, अब मैं ऐसा ही हूँ।
नहीं बनाना उनको दोस्त अब,
जो करते हैं दूसरों को बेइज्जत,
नहीं पसंद मुझको उनके रहन- सहन,
जो बनते हैं होशियार छुपाकर हकीकत,
रखता हूँ इनको मुझसे दूर मैं,
हाँ, अब मैं ऐसा ही हूँ।
नहीं मानता उनको अपना रिश्तेदार,
नहीं दिया जिन्होंने प्यार मुझको,
नहीं बैठता उनके पास मैं,
जिन्होंने समझा था पराया मुझको,
नहीं करता खयाल इनका मैं,
हाँ, अब मैं ऐसा ही हूँ।
देखते हैं सब मुझको अब,
एक अजनबी सख्त इंसान जैसा,
जाता हूँ जब मैं उस गांव में,
जहाँ था बचपन में एक मलिन सा,
डरते हैं अब वो मेरे रुतबे से,
हाँ, अब मैं ऐसा ही हूँ।
लेकिन रोक नहीं पाता हूँ मैं,
अब भी उनसे मिलने को खुद को,
जिनके परिवार का हिस्सा हूँ मैं,
लगा लेता हूँ गले मैं उनको,
और रोक नहीं पाता अपने ऑंसू ,
हाँ, अब मैं ऐसा ही हूँ।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847