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7 Oct 2016 · 1 min read

सुबह को आता है जगा देना

हर सुबह को आता है नींद से जगा देना
सत्य को भी आता इंसान को सजा देना

जिन्दगी की बगियाँ को फूल से खिला देना
बीज चाह के बो सरगम नया सजा देना

प्रेमिका पुरानी तेरी रही युगों से मैं
तुम न अब किसी से फिर आँख को लड़ा देना

पास आ कभी हमसे दूर मत चले जाना साँस से बँधी हूँ जीवन दे मुझे जिला देना

हाथ जब पिता ने तुझको दिया हमेशा को
प्यार से मुझे रख कोई न फिर गिला देना

हो गया न जाने क्यों प्रेम रोग मुझको अब
आज फिर मुझे कोई रोग की दवा देना

झाड फूँक सब मैं करवा चुकी हूँ अब
फिर असर न करती कोई दवा दुआ देना

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