Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2022 · 2 min read

सुन ज़िन्दगी!

सुन ज़िन्दगी!
चौंक गयी ना, देखकर मुझे?
तूने क्या समझा था,
मिट गया मैं?
लुट गया मैं?
बहुत खुश थी तू
मेरे ख्वाबों के पर काटकर
दौड़ते पैरों में ज़ंजीर डालकर
लेकिन,
तू क्या जाने
मेरे हौसले की उड़ान को
हाँ! तड़पा मैं
क्यूंकि,
छीना था तूने
मेरे सपनों का संसार
परिश्रम से अर्जित किया हुआ अधिकार
और
उसी तड़पन ने दी मुझे
एक नई हिम्मत
उठ खड़े होने की ताक़त
आज फिर खड़ा हूँ तेरे सामने
सीना ताने, मस्तक उठाये….
परेशान था मैं
लेकिन,
दोषी किसे मानूँ
विधायिका को?न्यायपालिका को?
या,पल पल रंग बदलती
कार्यपालिका को?
वे तो सिर्फ मोहरे थे
तेरी शतरंजी बिसात के
आ गए सब अपनी दो कौड़ी की औकात पे
हम पचास थे
तेरे बहुत ख़ास थे
जब छीना था तूने,हमसे न्यायाधीश की कुर्सी
क़ानून की बातें करती थी ना
देख ले! भाई मसरूर आलम,चन्द्रशेखर गुप्त,
अनूप त्रिपाठी,अखिलेश मिश्र,
उमर जावेद,सुरेन्द्र राय,
अनिल दूबे,अरुण कुमार
और आलोक द्विवेदी को
जो पढ़ा रहे क़ानून का पाठ
तेरी क़ानून की देवी को
हवाला दिया था तूने भाग्य का
लेकिन सोचा कभी?
क्या होगा तेरे दुर्भाग्य का?
पूछ ले अपनी तक़दीर के बारे में
भाई अशोक राय से
अभी कितने दुर्दिन देखने हैं तुझे
हम पचासों की हाय से?
चाहती थी तू हमें दर-दर की ठोकरें खिलाना
खून के आँसू रुलाना
आँख उठाकर देख ले,कौन खड़ा है तेरे सामने
नहीं आया पहचान में ?
इस दाढ़ी और जटा के पीछे छुपे
चेहरे की आँखों में गौर से देख
नज़र आएंगे भाई राकेश मिश्र
जो अब हैं स्वामी आनन्द राकेश
मार दिया ठोकर तेरे ‘असीम’ वैभव को
और रमा लिया धूनी
अब क्यूँ होने लगीं तेरी आँखें सूनी?
किस किस का नाम गिनाऊँ
सबने तो बनाया है तुझे उपहास का पात्र
और तू समझती है
तेरी औकात बताने वाला मैं ही हूँ मात्र
अभी देखती जा…
आएगा वक़्त
जब तू होगी नतमस्तक मेरे सामने,
गिड़गिड़ायेगी
सर पटककर मेरे क़दमों पर
और,
मैं करूँगा अट्टहास
देखकर तेरा टूटता ग़ुरूर,
तेरी बेहिसाब बेबसी…
देखना
वक़्त आएगा
ज़रूर आएगा।
© शैलेन्द्र ‘असीम’

Language: Hindi
1 Like · 466 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
नामुमकिन
नामुमकिन
Srishty Bansal
■ आज का विचार।।
■ आज का विचार।।
*Author प्रणय प्रभात*
सरोकार
सरोकार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ख्वाहिशे  तो ताउम्र रहेगी
ख्वाहिशे तो ताउम्र रहेगी
Harminder Kaur
"प्रेम रोग"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
Ram Krishan Rastogi
सीख का बीज
सीख का बीज
Sangeeta Beniwal
*कौन जाने जिंदगी यह ,जीत है या हार है (हिंदी गजल)*
*कौन जाने जिंदगी यह ,जीत है या हार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
आते ही ख़याल तेरा आँखों में तस्वीर बन जाती है,
आते ही ख़याल तेरा आँखों में तस्वीर बन जाती है,
डी. के. निवातिया
प्यास
प्यास
sushil sarna
हादसें पूंछ कर न आएंगे
हादसें पूंछ कर न आएंगे
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
*औपचारिकता*
*औपचारिकता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
💐💐मेरा इश्क़ बे-ग़रज़ नहीं है💐💐
💐💐मेरा इश्क़ बे-ग़रज़ नहीं है💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
!! युवा !!
!! युवा !!
Akash Yadav
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
Sanjay ' शून्य'
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
रंगरेज कहां है
रंगरेज कहां है
Shiva Awasthi
दिल में हिन्दुस्तान रखना आता है
दिल में हिन्दुस्तान रखना आता है
नूरफातिमा खातून नूरी
कदम बढ़े  मदिरा पीने  को मदिरालय द्वार खड़काया
कदम बढ़े मदिरा पीने को मदिरालय द्वार खड़काया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बड़ी मंजिलों का मुसाफिर अगर तू
बड़ी मंजिलों का मुसाफिर अगर तू
Satish Srijan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
हृदय परिवर्तन जो 'बुद्ध' ने किया ..।
हृदय परिवर्तन जो 'बुद्ध' ने किया ..।
Buddha Prakash
अंतर्राष्ट्रीय पाई दिवस पर....
अंतर्राष्ट्रीय पाई दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
विकटता और मित्रता
विकटता और मित्रता
Astuti Kumari
और चौथा ???
और चौथा ???
SHAILESH MOHAN
मिलना हम मिलने आएंगे होली में।
मिलना हम मिलने आएंगे होली में।
सत्य कुमार प्रेमी
छोटी कहानी -
छोटी कहानी - "पानी और आसमान"
Dr Tabassum Jahan
बृद्ध  हुआ मन आज अभी, पर यौवन का मधुमास न भूला।
बृद्ध हुआ मन आज अभी, पर यौवन का मधुमास न भूला।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
Loading...