सावधानी में सुरक्षा
☺सावधानी हटी दुर्घटना घटी☺
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खुश थे वो बच्चे की आयेंगे पापा
लेकर मिठाई खिलायेंगे पापा,
हाथों से अपने हमको खिलाकर
लगाकर गले से सुलायेंगे पापा।
इन्तजार में द्वारे खड़ी सुकुमारी
पत्नी वो उसकी थी कितनी वो प्यारी।
लगी थी निगाहें सडक के किनारे
सजनी की नजरें सजन को निहारे।
अभी भी न आये गये दिन ये सारे
नजाने कब आयेंगे सजना हमारे।
सजन जी न आये एक संदेश आया
प्रितम तुम्हारा काल गाल में समाया।
बाईक की सवारी थी स्पीड ज्यादा
सर पे न हेलमेट न कोई सहारा
भागता रहा बीन देखे दायें बाये
सुरक्षा नीति जैसे उसनें बनाये।
एक चूक हुई टूटा जिन्दगी का तारा
गलती किसीकी हुये कितने बेसहारा।
पहले जो सोचता न चूक ऐसी होती
प्रमुग्धा वो पत्नी न फुट-फुट रोती।
कही भी कभी भी जाओ तुम प्यारे
रखना स्मरण है कई तेरे सहारे
बच्चों की खुशियां है बीवि का आश तूं
माता पिता का एकलौता प्रकाश तूं
“सचिन” ऐसी गलती न करना दोबारा
दुनिया की रीत एक दूजे का सहारा।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”