Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2021 · 3 min read

कारखाना और चिड़ियाखाना (वार्तालाप)

कारखाना और चिड़ियाखाना एक जैसा होता है, वासु जी । ऐसा क्यों बोल रहे हैं ? दीपक जी। ऐसा ही है, जंगल में तो कोई अनुशासन नहीं होता है। जो जिसको मारकर खाना चाहता है, खा सकता है।लेकिन चिड़ियाखाना और कारखाना में तो अनुशासन रखना होता है। (चाय की चुसकी लेते हुए ) जानते हैं दीपक बाबू डिपार्टमेंट में तो सिर्फ बातों के पान के पत्ते फेंकना भर देरी है, उसमें अपने आप सुपाड़ी, कत्थक,जरदा, पान- मसाला लगकर पान पूर्ण रुप से तैयार हो जाता है। और कोई खाते हुए दीवार और रास्ता गंदा कर देता है । आपकी यह बात पर स्वामी विवेकानंद जी का एक कथन याद आ गया है। “Never talked about the faults of other no matter how bad they may be “। हम लोग कर्मठ ,कुशल ,सहनशील खुशहाल सेल कर्मचारी हैं। मुझे लगता है कि काम और व्यक्तित्व जीवन के अलावा ओरएक जीवन होना चाहिए- जैसे गाना – गाना,कविता लिखना ,चित्र करना इत्यादि। वासु जी ,आप तो बीवी और गर्लफ्रेंड एक साथ रखने बोल रहे हैं ।नहीं -नहीं मेरा मतलब कोई शौक से है जो आपको ‌ रिफ्रेश कर दे और आपकी भावनाओं को भी व्यक्त कर दे। डिप्रेशन भी कम कर दें।सुनिए दीपक जी सबका अपना-अपना कहानी होता है। कुछ अच्छे पल और कुछ खराब पलों को लेकर जीवन शुरू से अंत हो जाता है। आपने जानवर और पशुओं को तो रोते हुए देखा है परंतु आपने हंसते हुए देखा है क्या ? पशु के जीवन से भी अलग एक जीवन होना चाहिए। वासु जी आपकी बातों से तो ऐसा लगता है कि आप गलत जगह कार्यरत हो गए हैं ‌ । अधिकाशोंको ऐसा लगता है कि या काम मेरे लिए नहीं है। अच्छा आपके जीवन में कोई गर्लफ्रेंड है क्या ? मतलब दूसरा कोई जीवन है क्या ? हम तो आपको इतना ज्ञानवर्धक बात बता रहे हैं लेकिन घर में जाने के बाद बीबी, टीवी, सोशल मीडिया और बच्चोंसे ही दिन गुलजार हो जाताहूं। कॉलेज के दिनों में कुछ कविताएं लिखी थी जो ना किसी को सुना सका ना छपवा सका।-

मां

मां, मेरी प्यारी मां,
सुन लो ना बात मेरी,
जब मैं छोटा बच्चा था,
मुझको कुछ ना आता था,
छोटी सी आहट पाकर,
आंचल में छुप जाता था ।।

मां, मेरी प्यारी मां,
सुन लो ना बात मेरी ,
सूर लता का तुझेमें छिपा
लोरी गा के सुनाती, मुझे ।।
मुझमें समाया है ,तेरा संसार
तेरा आंचल में मेरा संसार।

मां , मेरी प्यारी मां,
सुन लो ना बात मेरी,
सरस्वती जी का वरदान
स्नेह मुझे मिला तुझसे।
वैद्यसाला की तू मेरी वेद,
बिन बोले तू समझे सब।
भूत पिचास निकट ना आए
काला टीका देख कर सब।

मां , मेरी प्यारी मां,
सुन लो ना बात मेरी,
मुझे जो पसंद तुझे
वहीं पसंद मां।
चूल्हा में वहीं रहता
मेरे मुंह से लाता लार।

मां , मेरी प्यारी मां,
सुन लो ना बात मेरी
असहनीय दर्द की वजह,
अर्पण किया मैंने तुझको
आलिंगन से स्वीकारा तुने ।

मां , मेरी प्यारी मां,
सुन लो ना बात मेरी,
सहजा मेरे सपनों को
अपना सपनों का बलिदान,
अम्मा, जननी, मम्मी
जाने तेरे कितने नाम ?

मैं फिर से कहना चाहता हूं ,बासु जी। अब गलत जगह में आ गए हैं । दीपक जी जब केरियर की खोज में निकला था तो नेटवर्क कमजोर होने के कारण मेरा GPRS काम करना बंद हो गया और जब नेटवर्क आयी तो सेल जैसे खुशहाल परिवार में था‌।गीता में लिखा है–“असत्य पर सत्य की जीत हमेशा होती है,जो होता है वह अच्छा के लिए होता है”।परिस्थितियों पर निर्भर करता है ‌ कौन हीरो है ? कौन खलनायक ? हमलोग SMS मैं कार्यरत है।आपको याद है दीपक जी कुछ दिन आगे एक श्रमवीर बाल्टी बनाते हुए लैंडल preparation bay में accident होकर अपने प्राणों की आहुति दे दी। पर आज वही ladle prepation bay का आधुनिककरण हो कर आ रहा है। भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी। परिस्थिति ने उस श्रमवीर को नायक बना दिया । ऐसी घटना ना हुई होतो तो आधुनिक करण होने में समय लगता है।बड़ा ही सत्य वचन बोल रहे हैं , बासु जी।जीवन में सब समय दुख- दुख नहीं रहता ना ही सुख -सुख रहता है।इसी का नाम जीवन है।जीवन छोटी-छोटी समस्याओं में लगी रहती है। 90% समस्या समय के साथ कट जाती है लेकिन एक अच्छी जगह में कार्यरत रहने से जीवन का यह उबड़-खाबड़ का रास्ता जीवन सारा आसान कर देती है।वैसा ही हमारा सेल परिवार है हमलोगों का जीवन मैं खुशहाली लेकर आता है।चलिए आज की राम कहानी यहीं समाप्त हुईआज तो आपको नाइट शिफ्टजाना है आज की चाय आप पर उधार रही।

WORD: 618

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 739 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from goutam shaw
View all
You may also like:
क्रिकेट
क्रिकेट
SHAMA PARVEEN
*सरल सुकोमल अन्तर्मन ही, संतों की पहचान है (गीत)*
*सरल सुकोमल अन्तर्मन ही, संतों की पहचान है (गीत)*
Ravi Prakash
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
" जय भारत-जय गणतंत्र ! "
Surya Barman
"What comes easy won't last,
पूर्वार्थ
संबंधों के नाम बता दूँ
संबंधों के नाम बता दूँ
Suryakant Dwivedi
सत्य जब तक
सत्य जब तक
Shweta Soni
भूल कर
भूल कर
Dr fauzia Naseem shad
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
Rekha khichi
माँ की चाह
माँ की चाह
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कांतिपति का चुनाव-रथ
कांतिपति का चुनाव-रथ
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
Phool gufran
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
sushil sarna
💐अज्ञात के प्रति-87💐
💐अज्ञात के प्रति-87💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*** तस्वीर....! ***
*** तस्वीर....! ***
VEDANTA PATEL
#एकताको_अंकगणित
#एकताको_अंकगणित
NEWS AROUND (SAPTARI,PHAKIRA, NEPAL)
प्रबुद्ध कौन?
प्रबुद्ध कौन?
Sanjay ' शून्य'
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
#चाह_वैभव_लिए_नित्य_चलता_रहा_रोष_बढ़ता_गया_और_मैं_ना_रहा।।
#चाह_वैभव_लिए_नित्य_चलता_रहा_रोष_बढ़ता_गया_और_मैं_ना_रहा।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"गुल्लक"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा
दोहा
प्रीतम श्रावस्तवी
कोतवाली
कोतवाली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कहा था जिसे अपना दुश्मन सभी ने
कहा था जिसे अपना दुश्मन सभी ने
Johnny Ahmed 'क़ैस'
इक नयी दुनिया दारी तय कर दे
इक नयी दुनिया दारी तय कर दे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जब कभी भी मुझे महसूस हुआ कि जाने अनजाने में मुझसे कोई गलती ह
जब कभी भी मुझे महसूस हुआ कि जाने अनजाने में मुझसे कोई गलती ह
ruby kumari
"मां की ममता"
Pushpraj Anant
नैतिक मूल्यों को बचाए अब कौन
नैतिक मूल्यों को बचाए अब कौन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मन के मंदिर में
मन के मंदिर में
Divya Mishra
जिंदगी का सफर बिन तुम्हारे कैसे कटे
जिंदगी का सफर बिन तुम्हारे कैसे कटे
VINOD CHAUHAN
Loading...