Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2016 · 1 min read

“सभ्यता और संस्कार”

यूँ सभ्यता को लुटने न दो,
यूँ सत्यता को मिटने न दो,
यूँ कल्पना को तोडो नहीं ,
यूँ मनुष्यता को रौंदो नही ,
समय की पुकार सुनो तुम सभी,
हाहाकार मनुज की सुनो तुम सभी ,
रक्त की प्यास क्यों है तुम्हे,
झूठ से आस क्यों है तुम्हे,
अस्तित्व सत्य का समझे नहीं ,
मूल्य जीवन का जाने नहीं,
हर तरफ़ छायी है भय की घटा,
शांति क्यों नहीं ये तो बता,
लगी है आग ये कैसी वतन में ,
सुलग रही है वसुन्धरा देश की,
जल रही है सभ्यता , मिट रहे हैं संस्कार,
जल रहा है आदमी, लुट रही है आन,
अब तो तलाश है ऐसे तरुवर की ,
जिसकी शाख पर उगे……,
स्नेह का फूल व शांति का फल ,
जिसकी छाया में पुष्पित व पल्लवित हों,
सभ्यता और संस्कार||

…………निधि………

Language: Hindi
1236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सम्मान
सम्मान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"भूल गए हम"
Dr. Kishan tandon kranti
चुप
चुप
Ajay Mishra
दो हज़ार का नोट
दो हज़ार का नोट
Dr Archana Gupta
मैं कुछ इस तरह
मैं कुछ इस तरह
Dr Manju Saini
मारी फूँकें तो गए , तन से सारे रोग(कुंडलिया)
मारी फूँकें तो गए , तन से सारे रोग(कुंडलिया)
Ravi Prakash
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
Shweta Soni
तुम मेरी जिन्दगी बन गए हो।
तुम मेरी जिन्दगी बन गए हो।
Taj Mohammad
परवरिश करने वाले को एहसास है ,
परवरिश करने वाले को एहसास है ,
Buddha Prakash
खामोशी ने मार दिया।
खामोशी ने मार दिया।
Anil chobisa
कहीं भी जाइए
कहीं भी जाइए
Ranjana Verma
किरदार हो या
किरदार हो या
Mahender Singh
वर्णमाला हिंदी grammer by abhijeet kumar मंडल(saifganj539 (
वर्णमाला हिंदी grammer by abhijeet kumar मंडल(saifganj539 (
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
इबादत आपकी
इबादत आपकी
Dr fauzia Naseem shad
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
पूर्वार्थ
जीवन - अस्तित्व
जीवन - अस्तित्व
Shyam Sundar Subramanian
প্রতিদিন আমরা নতুন কিছু না কিছু শিখি
প্রতিদিন আমরা নতুন কিছু না কিছু শিখি
Arghyadeep Chakraborty
भगतसिंह
भगतसिंह
Shekhar Chandra Mitra
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
कवि दीपक बवेजा
फितरत
फितरत
kavita verma
दीप माटी का
दीप माटी का
Dr. Meenakshi Sharma
हमें याद आता  है वह मंज़र  जब हम पत्राचार करते थे ! कभी 'पोस्
हमें याद आता है वह मंज़र जब हम पत्राचार करते थे ! कभी 'पोस्
DrLakshman Jha Parimal
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
आचार्य वृन्दान्त
देख रहा था पीछे मुड़कर
देख रहा था पीछे मुड़कर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जो घर जारै आपनो
जो घर जारै आपनो
Dr MusafiR BaithA
बहुत याद आती है
बहुत याद आती है
नन्दलाल सुथार "राही"
23/84.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/84.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...