*श्री राजेंद्र कुमार शर्मा का निधन : एक युग का अवसान*
*श्री राजेंद्र कुमार शर्मा : एक युग *
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श्री राजेंद्र कुमार शर्मा (मृत्यु 20 अगस्त 2020) के निधन से रामपुर एक महान आत्मा से वंचित हो गया । राजनीति में आपने उच्च मूल्यों का प्रतिनिधित्व किया तथा अपनी सादगी और जनवादी दृष्टि से लोकमानस पर अपनी गहरी पकड़ स्थापित की ।आप सर्वप्रिय राजनेता थे। चुनावों में आपने लोकसभा में रामपुर का प्रतिनिधित्व किया था।
लोकसभा में आपके भाषणों का स्वर जहाँ एक ओर रामपुर की स्थानीय समस्याओं को उठाने वाला था, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय महत्व के प्रश्नों को भी आपने पूरी शक्ति के साथ उजागर किया । लोकसभा में बजट पर बहस के दौरान आपके द्वारा दिया जाने वाला भाषण इतिहास के पृष्ठों पर मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है ।आपने एक वक्ता के तौर पर लोकसभा में अपनी गहरी छाप छोड़ी तथा रामपुर की आवाज को लोकसभा में बुलंद किया ।
जब 1975 में देश में इमरजेंसी लगी तब आपने लोकतंत्र – सेनानी के रूप में इस काली कार्यवाही का विरोध किया और फलस्वरुप आपको जेल का दंड भुगतना पड़ा । आपने सहर्ष इस यातना को सहन किया तथा जब 1977 में चुनावों की घोषणा हुई , उसके बाद ही आप कारावास से छूटकर बाहर आ सके।
1977 में रामपुर की लोकसभा सीट जनसंघ – घटक के प्रतिनिधि के नाते आपके पास आई और यह उचित ही था क्योंकि आप अपने संघर्ष ,त्याग और तपस्या के द्वारा सबके प्रिय बन चुके थे ।आपकी समावेशी प्रवृत्ति थी तथा आपने शीघ्र ही जनता पार्टी के झंडे तले भारत के महान वैभव की पुनर्स्थापना के लिए प्रयत्न करना आरंभ किया । आपका कार्यकाल लोकसभा में रामपुर के प्रतिनिधित्व के सर्वश्रेष्ठ वर्षों में गिना जाता जाता है । पार्टी के स्तर पर आप एक समर्पित कार्यकर्ता थे तथा यह कहना अनुचित नहीं होगा कि आपने जमीन से उठकर नभ की ऊँचाइयों को स्पर्श किया। आपका मृदु स्वभाव तथा मुस्कुराता हुआ चेहरा सबके दिलों में हमेशा बसा रहेगा।
जीवन के अंतिम वर्षों में आप की स्मरण शक्ति क्षीण होने लगी थी । जब मेरा आपसे आपकी विवाह की 50वीं वर्षगाँठ पर “हमसफर रिसॉर्ट” में मिलना हुआ अथवा आवास विकास कॉलोनी रामपुर में आप के नवनिर्मित आवास में गृह – प्रवेश के अवसर पर आपको प्रणाम करने का अवसर मिला ,तब स्मरण शक्ति की क्षीणता के चिन्ह भली-भाँति आप में दिखाई पड़ने लगे थे। आपने आखरी दम तक भारतीयता के आधार पर उच्च जीवन मूल्यों के साथ समाज की रचना के लिए जो प्रयत्न करने चाहिए ,वह किए ।
पूज्य पिताजी श्री रामप्रकाश सर्राफ से मिलने के लिए आप प्रायः हर महीने में कम से कम एक बार तो आया ही करते थे । कभी दुकान पर और कभी घर पर आपका आगमन होता था । आपकी आत्मीयता अद्भुत थी । आपका आगमन परिवार के एक सदस्य के आने के समान होता था । इतनी सहजता के साथ आपसे बातें होती थींं कि यह लगता ही नहीं था कि आप कहीं बाहर से आते हैं ।
1977 में जब आप लोकसभा के सदस्य बने ,तब पूज्य पिताजी यह चाहते थे कि आप को मंत्रिमंडल में कोई मंत्री पद अवश्य मिलना चाहिए । अतः रामपुर से पिताजी के साथ श्री भगवत शरण मिश्रा जी , श्री भोलानाथ गुप्त जी तथा श्री सतीश चंद्र गुप्त जी दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए गए थे । पिताजी मुझे भी साथ ले गए थे । संसद भवन में कुछ नेताओं से मिलना हुआ था । कुछ के निवास पर जाकर मिलने का काम हुआ । दीनदयाल शोध संस्थान में श्री नानाजी देशमुख से मुलाकात हुई । वहाँ पिताजी ने नाना जी से कहा “रामपुर को कुछ और शक्ति दीजिए” इस पर नाना जी की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार की थी कि जिसका आशय यह निकलता था कि “देखेंगे”।
एक बार जब मिलक में श्री लालकृष्ण आडवाणी की चुनावी सभा थी और श्री शर्मा जी उम्मीदवार थे ,तब उन्होंने मुझसे कहा कि आडवाणी जी के आने में कुछ देर है, भाषण दोगे ? मैंने सहमति प्रदान की और तब उन्होंने मेरा भाषण उस मंच से कराया । जिसके लिए मैं उनका आभारी हूँ।
बहरहाल श्री राजेंद्र कुमार शर्मा भारत की राजनीति में और विशेष रूप से रामपुर की राजनीति में जनसंघ ,जनता पार्टी तथा तदुपरांत भारतीय जनता पार्टी के सशक्त स्तंभ रहे थे ।अपनी सर्वप्रियता तथा मृदु स्वभाव के कारण सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से उनके अच्छे संबंध थे । कर्कशता अथवा व्यक्तिगत कटुता का उनके जीवन में कोई स्थान नहीं था । वह उन इने-गिने लोगों में से थे ,जिन्होंने हमेशा ऊँचे कद की राजनीति की ,हमेशा श्रेष्ठ भाषा का प्रयोग किया ,विरोधी पर अमर्यादित हमला नहीं किया तथा प्रतिद्वंदी के साथ सम्मान पूर्वक अपने विचारों को दृढ़ता से व्यक्त किया ।उनका अभाव सार्वजनिक जीवन में सदैव खलता रहेगा ।
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लेखक:
रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
_मोबाइल 99976 15451