शीर्षक: फ़ासला क्यों….
शीर्षक: फ़ासला क्यों….
हम खास वक़्त के इंतज़ार में ही क्यों आ
बात करें ये फ़ासला क्यों….
क्यों न इस वक़्त को खास बनाने की कोशिश की
बात करें फ़ासला क्यों…
बारिश के सुरूर को आ क़ैद करने की
बात करें फ़ासला क्यों…
मोर नाचते हैं बारिश को देख आ हम भी पाँव चलाने की
बात करें फ़ासला क्यों…
फूल खिल उठे हैं आज हम खिलखिलाने की
बात करें फ़ासला क्यों…
तितलियाँ मचली आज हम भी मचलने की
बात करें फ़ासला क्यों…
पेड़ पर हमसफ़र बन लता से आ हम भी बनने की
बात करें फ़ासला क्यों…
आग़ोश में बूँद आज धरती की सी आ हम भी
बात करें फ़ासला क्यों…
दादुर बोलते बारिश प्रेम में आ हम भी प्रेम की
बात करें फ़ासला क्यों…
बिजली खुश बारिश आगमन से आ हम भी आने की
बात करें फ़ासला क्यों…
प्रेमी भीग रहें आज आ हम भी भीगने की
बात करें फ़ासला क्यों…
हम भी साथ बैठ आज अपनी ही बस
बात करें फ़ासला क्यों…
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
घोषणा:स्वरचित रचना