Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Apr 2022 · 1 min read

शब्द नही है पिता जी की व्याख्या करने को।

सबको प्रेम डोर के सूत्र से बांधे रखते थे।
वह परिवार में पिता थे हमारे जो ऐसा करते थे।।1।।

हम सारे भाई अपने अपने पैरों पे खड़े थे।
पर पिता आज भी हमें चलना सिखाया करते थे।।2।।

वर्षों पहले काल ने मां को निगल लिया था।
बिना कुछ कहे वह विरह का दुख सहा करते थे।।3।।

ह्रदय उनका प्रेम में तो समंदर से गहरा था।
दुखी होकर भी वो सबको बड़ा हंसाया करते थे।।4।।

शब्द नही है पिता जी की व्याख्या करने को।
भावों की असहनीय पीड़ा में मुस्कुराया करते थे।।5।।

कभी कुछ भी ना कहा स्वयं के लिए उन्होंने।
ईश्वर तुल्य पिता हमारे यूं जीवन जिया करते थे।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

5 Likes · 6 Comments · 527 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भोजपुरीया Rap (2)
भोजपुरीया Rap (2)
Nishant prakhar
International Camel Year
International Camel Year
Tushar Jagawat
जवानी
जवानी
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
மறுபிறவியின் உண்மை
மறுபிறவியின் உண்மை
Shyam Sundar Subramanian
जिसे ये पता ही नहीं क्या मोहब्बत
जिसे ये पता ही नहीं क्या मोहब्बत
Ranjana Verma
चाहत
चाहत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आहत बता गयी जमीर
आहत बता गयी जमीर
भरत कुमार सोलंकी
भगतसिंह:एक मुक्त चिंतक
भगतसिंह:एक मुक्त चिंतक
Shekhar Chandra Mitra
" सर्कस सदाबहार "
Dr Meenu Poonia
हल
हल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*मन  में  पर्वत  सी पीर है*
*मन में पर्वत सी पीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"समय का महत्व"
Yogendra Chaturwedi
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
Neelam Sharma
गिला,रंजिशे नाराजगी, होश मैं सब रखते है ,
गिला,रंजिशे नाराजगी, होश मैं सब रखते है ,
गुप्तरत्न
3114.*पूर्णिका*
3114.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सफ़ेदे का पत्ता
सफ़ेदे का पत्ता
नन्दलाल सुथार "राही"
तुम से प्यार नहीं करती।
तुम से प्यार नहीं करती।
लक्ष्मी सिंह
काम से राम के ओर।
काम से राम के ओर।
Acharya Rama Nand Mandal
✍️✍️✍️✍️
✍️✍️✍️✍️
शेखर सिंह
"सागर तट पर"
Dr. Kishan tandon kranti
गुलामी के कारण
गुलामी के कारण
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सारी हदों को तोड़कर कबूला था हमने तुमको।
सारी हदों को तोड़कर कबूला था हमने तुमको।
Taj Mohammad
।। सुविचार ।।
।। सुविचार ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*अनार*
*अनार*
Ravi Prakash
1
1
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मोदी जी
मोदी जी
Shivkumar Bilagrami
जिस्म का खून करे जो उस को तो क़ातिल कहते है
जिस्म का खून करे जो उस को तो क़ातिल कहते है
shabina. Naaz
मुफलिसो और बेकशों की शान में मेरा ईमान बोलेगा।
मुफलिसो और बेकशों की शान में मेरा ईमान बोलेगा।
Phool gufran
खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...