Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2022 · 1 min read

वक्त का खेल

भास्कर बनने के लिए हमें
तपना पड़ेगा प्रज्वलित में
श्रम के पश्चात होती जय
वक्त को तू मत कर स्तब्ध ।

जो पढ़ाई लिखाई के वक्त में
न पढ़के करता ऐश-ओ-मोज
तृण उसे करती हमेशा बर्बाद
वक्त-वक्त का खेल इस भव में ।

वक्त – वक्त का खेल है आज
एक जैसा न रहता बार हमेशा
कभी उत्पीड़न तो कभी प्रसन्न
अरसा हमेशा होते रहे तबदीली ।

उल्टा के देख प्रसिद्धवान की इति
आज जो भव में चमकता सितारा
उनका भी एक विलंब निकृति का
श्रम, तपस्या के बल चमकते आज ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
1 Like · 323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नेता पक रहा है
नेता पक रहा है
Sanjay ' शून्य'
ये सर्द रात
ये सर्द रात
Surinder blackpen
हर एक ईट से उम्मीद लगाई जाती है
हर एक ईट से उम्मीद लगाई जाती है
कवि दीपक बवेजा
तारों का झूमर
तारों का झूमर
Dr. Seema Varma
दूजी खातून का
दूजी खातून का
Satish Srijan
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2023
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2023
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"मोबाइल फोन"
Dr. Kishan tandon kranti
■ चुनावी साल, संक्रमण काल।
■ चुनावी साल, संक्रमण काल।
*Author प्रणय प्रभात*
नींद कि नजर
नींद कि नजर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
22, *इन्सान बदल रहा*
22, *इन्सान बदल रहा*
Dr Shweta sood
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
Shweta Soni
कृष्ण सुदामा मित्रता,
कृष्ण सुदामा मित्रता,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कसरत करते जाओ
कसरत करते जाओ
Harish Chandra Pande
ड्रीम इलेवन
ड्रीम इलेवन
आकाश महेशपुरी
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
Pramila sultan
ये जंग जो कर्बला में बादे रसूल थी
ये जंग जो कर्बला में बादे रसूल थी
shabina. Naaz
रात में कर देते हैं वे भी अंधेरा
रात में कर देते हैं वे भी अंधेरा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल (हास्य कुंडलिया)*
*जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
**सिकुड्ता व्यक्तित्त्व**
**सिकुड्ता व्यक्तित्त्व**
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
2444.पूर्णिका
2444.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
प्रथम गुरु
प्रथम गुरु
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मित्र, चित्र और चरित्र बड़े मुश्किल से बनते हैं। इसे सँभाल क
मित्र, चित्र और चरित्र बड़े मुश्किल से बनते हैं। इसे सँभाल क
Anand Kumar
आंगन महक उठा
आंगन महक उठा
Harminder Kaur
अपने-अपने संस्कार
अपने-अपने संस्कार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
जब ज़रूरत के
जब ज़रूरत के
Dr fauzia Naseem shad
आए गए महान
आए गए महान
Dr MusafiR BaithA
तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय।
तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
पेड़ पौधों के प्रति मेरा वैज्ञानिक समर्पण
पेड़ पौधों के प्रति मेरा वैज्ञानिक समर्पण
Ms.Ankit Halke jha
Loading...