Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2016 · 1 min read

लिख कुछ ऐसे…….

लिख कुछ ऐसे आसमां पर
कि जमीं भी तेरे पैरों में हो
*********************
कायल हों लिखने के सभी
और चर्चे भी तेरे गेरों में हो
*********************
कपिल कुमार
20/07/2016

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 245 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मानवीय संवेदना बनी रहे
मानवीय संवेदना बनी रहे
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कहानी ....
कहानी ....
sushil sarna
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
Anil Mishra Prahari
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
💐प्रेम कौतुक-464💐
💐प्रेम कौतुक-464💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मूडी सावन
मूडी सावन
Sandeep Pande
“गुप्त रत्न”नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है,
“गुप्त रत्न”नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है,
गुप्तरत्न
सुविचार
सुविचार
Sanjeev Kumar mishra
तुम याद आ रहे हो।
तुम याद आ रहे हो।
Taj Mohammad
मकड़जाल से धर्म के,
मकड़जाल से धर्म के,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रात के अंँधेरे का सौंदर्य वही बता सकता है जिसमें बहुत सी रात
रात के अंँधेरे का सौंदर्य वही बता सकता है जिसमें बहुत सी रात
Neerja Sharma
* सुहाती धूप *
* सुहाती धूप *
surenderpal vaidya
भारत का चाँद…
भारत का चाँद…
Anand Kumar
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
Kshma Urmila
मन भर बोझ हो मन पर
मन भर बोझ हो मन पर
Atul "Krishn"
लड़की किसी को काबिल बना गई तो किसी को कालिख लगा गई।
लड़की किसी को काबिल बना गई तो किसी को कालिख लगा गई।
Rj Anand Prajapati
शायद हम ज़िन्दगी के
शायद हम ज़िन्दगी के
Dr fauzia Naseem shad
रंग मे रंगोली मे गीत मे बोली
रंग मे रंगोली मे गीत मे बोली
Vindhya Prakash Mishra
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की याद में लिखी गई एक कविता
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की याद में लिखी गई एक कविता "ओमप्रकाश"
Dr. Narendra Valmiki
😢आज का शेर😢
😢आज का शेर😢
*Author प्रणय प्रभात*
इश्क़ में भी हैं बहुत, खा़र से डर लगता है।
इश्क़ में भी हैं बहुत, खा़र से डर लगता है।
सत्य कुमार प्रेमी
Sukun-ye jung chal rhi hai,
Sukun-ye jung chal rhi hai,
Sakshi Tripathi
कुछ मुक्तक...
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
शेखर सिंह
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
कवि रमेशराज
मान तुम प्रतिमान तुम
मान तुम प्रतिमान तुम
Suryakant Dwivedi
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
'अशांत' शेखर
चन्द्रयान..…......... चन्द्रमा पर तिरंगा
चन्द्रयान..…......... चन्द्रमा पर तिरंगा
Neeraj Agarwal
सच्चाई ~
सच्चाई ~
दिनेश एल० "जैहिंद"
Loading...