Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2021 · 1 min read

रेलगाड़ी रेलगाड़ी

मित्रों सम्भवतः आपको स्मरण हो कि पिछले वर्ष एक रेलगाड़ी अपने गंतव्य से अलग दूसरे स्टेशन पर पहुँच गयी थी और वह भी दस घण्टे अतिरिक्त समय लेकर। वह पूरा अतरिक्त समय यात्रियों ने बिना किसी सुविधा के बिताया था। उनकी तकलीफों को ध्यान में रखकर यह रचना लिखी थी। आज एक वर्ष पश्चात आपके सम्मुख यह रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ। अपने अमूल्य सुझावों से अवश्य अवगत कराइयेगा।

रेलगाड़ी रेलगाड़ी बन गयी है बैलगाड़ी।
पटरी पटरी चलती थी सीधे राह निकलती थी,
पहले से तय रूट थे उनपर ही वह चलती थी,
बीच बीच में टेशन थे थोड़ी देर ठहरती थी,
इन दिनों वह चलती है तिरछी आड़ी तिरछी आड़ी।
रेलगाड़ी रेलगाड़ी बन गयी है बैलगाड़ी।
समय सारणी के संग उसका बहुधा अच्छा नाता था,
कभी कभी उसमें व्यवधान माना के पड़ जाता था,
दस , बारह , पन्द्रह घण्टे लेट कभी हो जाती थी,
अब तो हफ्तों लेती है हाथ गाड़ी हाथ गाड़ी।
रेलगाड़ी रेलगाड़ी बन गयी है बैलगाड़ी।
थोड़ी कम थोड़ी ज्यादा लेकिन सुख सुविधायें थीं,
खाना पानी मिलता था माना कुछ बाधाएं थीं,
दस दस घण्टे दाना पानी का अब पता नहीं रहता,
अब तो उससे बेहतर है ठेला गाड़ी ठेला गाड़ी।
रेलगाड़ी रेलगाड़ी बन गयी है बैलगाड़ी।

Language: Hindi
Tag: गीत
9 Likes · 4 Comments · 474 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन को
जीवन को
Dr fauzia Naseem shad
*जय सियाराम राम राम राम...*
*जय सियाराम राम राम राम...*
Harminder Kaur
...........,,
...........,,
शेखर सिंह
ऐ जिन्दगी मैने तुम्हारा
ऐ जिन्दगी मैने तुम्हारा
पूर्वार्थ
मेरी खुशी वह लौटा दो मुझको
मेरी खुशी वह लौटा दो मुझको
gurudeenverma198
" चर्चा चाय की "
Dr Meenu Poonia
जय बोलो मानवता की🙏
जय बोलो मानवता की🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अय मुसाफिर
अय मुसाफिर
Satish Srijan
कानून हो दो से अधिक, बच्चों का होना बंद हो ( मुक्तक )
कानून हो दो से अधिक, बच्चों का होना बंद हो ( मुक्तक )
Ravi Prakash
चिड़िया की बस्ती
चिड़िया की बस्ती
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
टमाटर का जलवा ( हास्य -रचना )
टमाटर का जलवा ( हास्य -रचना )
Dr. Harvinder Singh Bakshi
आंगन को तरसता एक घर ....
आंगन को तरसता एक घर ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
कैसे कह दें?
कैसे कह दें?
Dr. Kishan tandon kranti
11. एक उम्र
11. एक उम्र
Rajeev Dutta
उसकी सुनाई हर कविता
उसकी सुनाई हर कविता
हिमांशु Kulshrestha
#अभिनंदन
#अभिनंदन
*Author प्रणय प्रभात*
आहत हो कर बापू बोले
आहत हो कर बापू बोले
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं
बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं
Anand Kumar
2872.*पूर्णिका*
2872.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
******** प्रेम भरे मुक्तक *********
******** प्रेम भरे मुक्तक *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दौर कागजी था पर देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे, आज उम्
दौर कागजी था पर देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे, आज उम्
Radhakishan R. Mundhra
. inRaaton Ko Bhi Gajab Ka Pyar Ho Gaya Hai Mujhse
. inRaaton Ko Bhi Gajab Ka Pyar Ho Gaya Hai Mujhse
Ankita Patel
मैं माँ हूँ
मैं माँ हूँ
Arti Bhadauria
* पानी केरा बुदबुदा *
* पानी केरा बुदबुदा *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Tera wajud mujhme jinda hai,
Tera wajud mujhme jinda hai,
Sakshi Tripathi
आदिपुरुष आ बिरोध
आदिपुरुष आ बिरोध
Acharya Rama Nand Mandal
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
डी. के. निवातिया
কিছু ভালবাসার গল্প অমর হয়ে রয়
কিছু ভালবাসার গল্প অমর হয়ে রয়
Sakhawat Jisan
असतो मा सद्गमय
असतो मा सद्गमय
Kanchan Khanna
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...