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29 Sep 2017 · 1 min read

रावण

रावण

हर वर्ष मेरा
पुतला जलाते हो
बुराई पर अच्छाई का
दम भी भरते हो
कभी देखा खुद को
क्या क्या हुनर दिखाते हो
घटनाएँ घट जाये
फिर लकीर पीटते हो
मेरे पुतले में लगी आग से
क्या अपने पाप धोते हो !

कभी अपने शहर की
गली गलियारो में
होते न्याय पर अन्याय का
हिसाब रखते हो
या कि साल दर साल
मेरा पुतला जलाकर
हाथ झाड़ लेते हो
हो गयी
बुराई पर अच्छाई की जीत
मान लेते हो
या कभी बुराई पर
अच्छाई की जीत का
कुछ हिसाब किताब रखते हो

मीनाक्षी भटनागर दिल्ली
स्वरचित
27-9-2017

Language: Hindi
1 Like · 437 Views
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