Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2022 · 5 min read

*रामपुर रजा लाइब्रेरी में रक्षा-ऋषि लेफ्टिनेंट जनरल श्री वी. के. चतुर्वेदी का संबोधन*

रामपुर रजा लाइब्रेरी में रक्षा-ऋषि लेफ्टिनेंट जनरल श्री वी. के. चतुर्वेदी का संबोधन
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रामपुर 9 अप्रैल 2022 शनिवार । “राष्ट्र निर्माण एवं राष्ट्रीय सुरक्षा में कॉलेज के युवाओं की भूमिका” विषय पर लेफ्टिनेंट जनरल श्री वी.के. चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त सेना अधिकारी) के व्याख्यान में भाग लेने का अवसर मिला । मन प्रसन्न हो गया क्योंकि मस्तिष्क को ऊर्जा मिली और कुछ चुभते हुए सवालों ने समूची स्वतंत्रता पश्चात की भारत की राष्ट्रीय दिशा और दशा के प्रति हृदय को आंदोलित कर दिया । सेवानिवृत्ति के बाद भी चतुर्वेदी जी युवाओं के समान उत्साह से भरे थे। चेहरे पर अदम्य मुस्कुराहट पल भर के लिए भी ओझल नहीं हुई ।
“भारत को 15 अगस्त 1947 के दिन वास्तविक स्वतंत्रता नहीं मिली थी । यह तो केवल बँटवारा मात्र था । धर्म के आधार पर इस प्रकार का विभाजन बिल्कुल भी समझ में नहीं आता । वस्तुतः हमारे नेताओं से गलती हुई । भारत की जीन में सेकुलरिज्म है। लेकिन अंग्रेजों ने बाँटो और राज करो की नीति अपनाकर इस देश को न केवल दो राष्ट्रों में विभाजित किया अपितु वह तो पाँच सौ से अधिक रियासतों को एक देश के भीतर स्वतंत्र देश के रूप में देखने के उत्सुक थे । वे चाहते थे कि भारत की एकता नष्ट हो जाए और हम छिन्न-भिन्न हो जाएँ। यह तो सरदार पटेल की ही दूरदर्शिता थी जिन्होंने सारी रियासतों को भारत से जोड़ दिया और एकता स्थापित कर दी।”- सचमुच लेफ्टिनेंट जनरल श्री वी.के. चतुर्वेदी के व्याख्यान में आजादी की पीड़ा झलक रही थी । अंग्रेजों की चाल यद्यपि विफल हो गई तो भी श्री चतुर्वेदी का यह प्रश्न क्या नजरअंदाज किया जा सकता है कि कैसे हम देश को 15 अगस्त 1947 को स्वाधीन हुआ मान लें जब उस क्षण भारत के गवर्नर जनरल एक अंग्रेज थे ? कितना अच्छा होता अगर श्री राजगोपालाचारी को देश का (आजाद देश का) गवर्नर जनरल बनाया जाता !
क्या कारण है कि स्वतंत्रता के पश्चात भी इस देश के चीफ आर्मी स्टाफ एक अंग्रेज को बनाए रखा गया ? एक ऐसे समय जब देश पर सीमाओं से खतरे थे और एक भारतीय को सेना का सर्वोच्च पदाधिकारी बनाया जाना आवश्यक था । बाद में यह कार्य हुआ लेकिन प्रश्न तो यह है कि स्वतंत्रता के तत्काल बाद हम क्यों नहीं कर पाए ?- श्री चतुर्वेदी का प्रश्न था ।
एक सशक्त भारत ही हमारे देश में भी शांति की गारंटी है और समूचे विश्व में भी शांति का पथ-प्रदर्शन कर सकता है । सशक्त भारत की ओर कोई टेढ़ी नजर से देखने का साहस नहीं कर सकता -श्री चतुर्वेदी ने स्वाभिमान से भर कर जब यह बात कही तो रामपुर रजा लाइब्रेरी का रंग महल सभागार तालियों से गूँज उठा।
राष्ट्रीय नेतृत्व की सराहना करते हुए श्री चतुर्वेदी ने कहा कि 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन प्रदान करना कोई हँसी-खेल नहीं है तथा इस कार्य से भुखमरी पर काबू पाया जा सका अन्यथा वह भी एक दिन था, अतीत को स्मरण करते हुए श्री चतुर्वेदी ने बताया ,जब भारत में भुखमरी होती थी और अमेरिका से सड़ा हुआ गेहूं हमें भीख में प्राप्त होता था ।
राष्ट्र की आंतरिक स्थिति को चिंताजनक बताते हुए आपने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में “भारत तेरे टुकड़े होंगे” जैसे नारे हृदय में दुख पैदा करते हैं । कोरोना-काल में विभीषिका बहुत गहरी थी लेकिन मीडिया का एक तत्व केवल गलत संदर्भों को ही ज्यादा दिखाने में विश्वास करता था । सच तो यह है कि कोरोना से जितनी निष्ठा के साथ भारत के राष्ट्रीय नेतृत्व ने जूझने में सफलता पाई ,वह एक दिन संसार के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा । यह गर्व का विषय है 135 करोड़ व्यक्तियों को भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने में सफलता प्राप्त की ।
आज आवश्यकता है कि हम संविधान में अधिकारों से ज्यादा दायित्वों को समझें और शपथ लें कि हम राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाएँगे ,बस नहीं तोड़ेंगे, रेलवे स्टेशन बर्बाद नहीं करेंगे तथा सड़कें देश के पैसे से बनी है -इस बात को समझेंगे।
भारत की पहचान को अक्षुण्ण रखे जाने के प्रश्न को भी श्री चतुर्वेदी ने अपने व्याख्यान का एक हिस्सा बनाया । उनका कहना था कि हमारे रीति-रिवाज ,पारिवारिकता ,रहन-सहन ,वेशभूषा आदि बहुत सी चीजें हैं जिनसे मिलकर भारत की पहचान बनती है । हमें इन सब चीजों को बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए ।
भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु जब देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने के लिए फाँसी के फंदे पर चढ़े तब उनके चेहरे पर डर का लेश मात्र भी नहीं था । सुप्रसिद्ध कवि श्री माखनलाल चतुर्वेदी की एक कविता भी उन्होंने श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत की :-

जो भरा नहीं है भावों से ,बहती जिसमें रसधार नहीं
वह हृदय नहीं है पत्थर है ,जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं

देशभक्ति से भरी हुई इन पंक्तियों की रसधार सभागार में हृदयों को भिगो गई और वातावरण राष्ट्रप्रेम से रससिक्त हो गया ।
एक ताकतवर प्रधानमंत्री, सशक्त राष्ट्रीय नेतृत्व ,स्थाई सरकार तथा राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए देशवासियों को हमेशा कार्य करना चाहिए ।
“धर्म” शब्द की अच्छी परिभाषा श्री चतुर्वेदी ने दी । आपने कहा कि धर्म का अंग्रेजी अर्थ रिलीजन है लेकिन सचमुच धर्म का अर्थ “कर्तव्य” है । कर्तव्य के पालन के लिए हमें दृढ़ संकल्प होना चाहिए और तटस्थ न रहते हुए अपनी भूमिका को सही पक्ष के साथ जोड़ना चाहिए । पुनः राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता उद्धृत करते हुए आपने वातावरण को देशप्रेम की अनंत ऊंचाइयों का स्पर्श कराया :-

समर शेष है ,नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ है ,समय लिखेगा उनका भी अपराध

अंत में आपने मनुष्यता के भावों का स्मरण किया और जनसमूह को भारत के “वसुधैव कुटुंबकम” के महान आदर्श का स्मरण दिलाया तथा इस आदर्श को जीवन में आत्मसात करने के लिए शपथबद्ध किया।
समारोह में आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम के प्रोफेसर जी. एस. मूर्ति ने भी अपना संबोधन दिया । इस अवसर पर सरस्वती वंदना और पवित्र कुरान का संदेश पढ़ा गया ।
अंत में श्रोताओं से कुछ प्रश्न पूछने का सत्र रहा ,जिसमें रवि प्रकाश ने चतुर्वेदी जी से यह प्रश्न किया कि क्या भारत में एकीकृत शासन प्रणाली लागू न करके तथा राज्यों का संघ बनाकर हमने अतीत में गलती की है ? क्योंकि जिस तरह रियासतों के राजा महाराजाओं के चंगुल से देश छूटकर एकताबद्ध हुआ ,उसके स्थान पर अब प्रांतवाद की समस्या सामने आ रही है ?
उत्तर में श्री चतुर्वेदी ने कहा कि भारत किसी भी प्रकार से संयुक्त राज्य अमेरिका की भाँति राज्यों का संघ नहीं है। भारत एकताबद्ध है तथा हम विभाजित नहीं हैं।
समारोह में अवकाश प्राप्त डिग्री कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ अब्दुल रऊफ ने भी अपने विचार व्यक्त किए । समारोह के उपरांत अंतिम कड़ी के रूप में “11 गोरखा राइफल्स” की गतिविधियों को दर्शाने वाली 15 मिनट की राष्ट्र निर्माण में सहायक लघु फिल्म “क्रांतिवीर” दिखाई गई ।
उपस्थित श्रोताओं का धन्यवाद लाइब्रेरी एवं सूचना अधिकारी डॉ अबुसाद इस्लाही ने किया । लाइब्रेरी-अधिकारी श्री हिमांशु सिंह ने पुष्प प्रदान करके मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
लेखक: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

243 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
नारी तू नारायणी
नारी तू नारायणी
Dr.Pratibha Prakash
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
बिस्तर से आशिकी
बिस्तर से आशिकी
Buddha Prakash
3211.*पूर्णिका*
3211.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जगमगाती चाँदनी है इस शहर में
जगमगाती चाँदनी है इस शहर में
Dr Archana Gupta
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अरुणोदय
अरुणोदय
Manju Singh
भारत माता की संतान
भारत माता की संतान
Ravi Yadav
*सफल कौवा 【बाल कविता】*
*सफल कौवा 【बाल कविता】*
Ravi Prakash
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
Anil chobisa
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
Simmy Hasan
बेहतर और बेहतर होते जाए
बेहतर और बेहतर होते जाए
Vaishaligoel
" लिहाज "
Dr. Kishan tandon kranti
"गुमनाम जिन्दगी ”
Pushpraj Anant
प्रभु शरण
प्रभु शरण
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
کوئی تنقید کر نہیں پاتے ۔
کوئی تنقید کر نہیں پاتے ۔
Dr fauzia Naseem shad
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
গাছের নীরবতা
গাছের নীরবতা
Otteri Selvakumar
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
Shweta Soni
किसी का प्यार मिल जाए ज़ुदा दीदार मिल जाए
किसी का प्यार मिल जाए ज़ुदा दीदार मिल जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
मुझे मेरी फितरत को बदलना है
मुझे मेरी फितरत को बदलना है
Basant Bhagawan Roy
फटा ब्लाउज ....लघु कथा
फटा ब्लाउज ....लघु कथा
sushil sarna
" मुझमें फिर से बहार न आयेगी "
Aarti sirsat
अपना...❤❤❤
अपना...❤❤❤
Vishal babu (vishu)
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
Er. Sanjay Shrivastava
लिख दो किताबों पर मां और बापू का नाम याद आए तो पढ़ो सुबह दोप
लिख दो किताबों पर मां और बापू का नाम याद आए तो पढ़ो सुबह दोप
★ IPS KAMAL THAKUR ★
A Little Pep Talk
A Little Pep Talk
Ahtesham Ahmad
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
* आओ ध्यान करें *
* आओ ध्यान करें *
surenderpal vaidya
Loading...