Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2022 · 2 min read

मैं मजदूर हूँ!

मैं मजदूर हूँ ,मैं मजदूर हूँ ।
हमने अपने इन हाथों से
बड़े ,बड़े पत्थर तोड़े हैं।
पर कहाँ मै अपनी
किस्मत की रेखा को,
बदल पाता हूँ।

कहाँ अपने लिए कोई
घर बना पाता हूँ।
रोज बनाता हूँ मैं गगन को
चूमता हुआ इमारत,
आलीशान महल को भी
मैं ही तो रोज बनाता हूँ।
पर कहाँ अपने लिए एक
कमरा भी बना पाता हूँ।

मैने कई तरह-तरह के
आलीशान पलंग बनाए है ,
उस पर तरह तरह के
कशिदे और रंग चढ़ाए हैं।
वह फोम वाले गद्दे भी
हमने ही तो उसपर बैठाएँ है।
पर आज भी तो हम
पत्थर पर ही सो जाते हैं।
कहाँ अपने लिए एक
बिस्तर भी खरीद पाते है।

मैंने कई तरह के लोगों
के घर में बाग लगाए हैं।
उसमें कई तरह के रसीले
फल भी आए।
उसको तोड़ कर हमने
पैक भी किया,
और लोगो के घर-घर भी
हमने ही तो पहुँचाए हैं ।
पर कहाँ हमनें उसमें से
एक फल भी खा पाए हैं।
आज भी तो हम दो जून की
रोटी के लिए ही संघर्ष कर
रहे हैं।

हमने कई खिलौने के
कारखाने में काम किया हैं ।
बड़े से लेकर छोटे तक न जाने
कितने सारे खिलौने बनाए हैं।
उन खिलौनो को घर -घर तक
हमने ही तो पहुँचाए हैं।
पर कहाँ हम अपने बच्चे को
एक छोटी सी गेंद या गुड़िया
भी दिला पाते हैं।
कहाँ हम अपनी किस्मत
को बदल पाते हैं।

शायद ही कोई ऐसा शहर हो
जहाँ मैं नही होता हूँ ।
काम की तलाश में दर-दर
भटकता रहता हूँ।
पर कहाँ नज़र उठाकर
कभी शहर को देख पाता हूँ।
कहाँ मैं अपने तकदीर
को बदल पाता हूँ।

मेरे कंधो पर हमेशा
बोझ भरा रहता है।
भारी से भारी सामान को
उठाकर न जाने कितनी
ऊँचाई तक चढ़ाता हूँ।
पर कहाँ मै अपने बच्चों को
उठाकर उन्हें खेला पाता हूँ।
मैं तो कई-कई दिनों तक
अपने बच्चे से मिल भी
नहीं पाता हूँ।

कितने चोट लगे,
कितने घाव लगे,कितने चोट लगे,
पर कहाँ अपने दर्द पर
मरहम लगा पाता हूँ।
कहाँ चंद समय रुककर
अपने दर्द का एहसास कर पाता हूँ।

आज भी तो हर रोज
भुख प्यास से लड़ता हूँ।
आज भी तो मैं शहर-शहर
दर-दर भटकता रहता हूँ।
कहाँ अपनी किस्मत को
मैं बदल पाता हूँ ।
मैं मजदूर हर रोज अपनी
किस्मत से लड़ता हूँ।

~ अनामिका

Language: Hindi
4 Likes · 1259 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
سب کو عید مبارک ہو،
سب کو عید مبارک ہو،
DrLakshman Jha Parimal
सावन में घिर घिर घटाएं,
सावन में घिर घिर घटाएं,
Seema gupta,Alwar
पाषाण जज्बातों से मेरी, मोहब्बत जता रहे हो तुम।
पाषाण जज्बातों से मेरी, मोहब्बत जता रहे हो तुम।
Manisha Manjari
*कोसी नदी के तट पर गंगा स्नान मेला 8 नवंबर 2022*
*कोसी नदी के तट पर गंगा स्नान मेला 8 नवंबर 2022*
Ravi Prakash
"जब रास्ते पर पत्थरों के ढेर पड़े हो, तब सड़क नियमों का पालन
Dushyant Kumar
चाहत
चाहत
Sûrëkhâ Rãthí
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
हरवंश हृदय
मुद्दा मंदिर का
मुद्दा मंदिर का
जय लगन कुमार हैप्पी
तत्काल लाभ के चक्कर में कोई ऐसा कार्य नहीं करें, जिसमें धन भ
तत्काल लाभ के चक्कर में कोई ऐसा कार्य नहीं करें, जिसमें धन भ
Paras Nath Jha
"फ्रांस के हालात
*Author प्रणय प्रभात*
ज़बानें हमारी हैं, सदियों पुरानी
ज़बानें हमारी हैं, सदियों पुरानी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कोई पूछे तो
कोई पूछे तो
Surinder blackpen
तुम अगर कविता बनो तो गीत मैं बन जाऊंगा।
तुम अगर कविता बनो तो गीत मैं बन जाऊंगा।
जगदीश शर्मा सहज
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
Rajesh Kumar Arjun
लज्जा
लज्जा
Shekhar Chandra Mitra
5. इंद्रधनुष
5. इंद्रधनुष
Rajeev Dutta
💐प्रेम कौतुक-421💐
💐प्रेम कौतुक-421💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
केवल पंखों से कभी,
केवल पंखों से कभी,
sushil sarna
2633.पूर्णिका
2633.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बस चार है कंधे
बस चार है कंधे
साहित्य गौरव
दाता
दाता
निकेश कुमार ठाकुर
"मन"
Dr. Kishan tandon kranti
स्वयं से सवाल
स्वयं से सवाल
आनन्द मिश्र
Indulge, Live and Love
Indulge, Live and Love
Dhriti Mishra
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल  ! दोनों ही स्थितियों में
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल ! दोनों ही स्थितियों में
Tarun Singh Pawar
फिर वसंत आया फिर वसंत आया
फिर वसंत आया फिर वसंत आया
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वक़्त सितम इस तरह, ढा रहा है आजकल,
वक़्त सितम इस तरह, ढा रहा है आजकल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
Rj Anand Prajapati
कोई तंकीद
कोई तंकीद
Dr fauzia Naseem shad
Loading...