Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2016 · 1 min read

मैं बस एकबार..

मैं बस एकबार
मिलना चाहता हूँ तुमसे ,
ओ मेरे दिलदार..

भुलाकर शिकवे सारे,
भुलाकर दुनिया का दाह
लिपटकर गले से तुम्हारे
रोना चाहता हूँ मैं बार बार,
मैं बस एकबार..

बताकर हालात मेरे,
तुम्हारे ना करने की जिद तक
पकड़कर हाथों को तेरे
जताना चाहता हूँ मैं अपनी हार,
मैं बस एकबार.. .

नहीं ये रिश्ता तोड़कर,
नहीं तू निगाहों को मोड़ें
ओ हमदम, कभी ना जाना
मुझको अकेला छोड़कर
करता रहूँगा यही पुकार,

मैं बस एकबार
मिलना चाहता हूँ तुमसे ,
ओ मेरे दिलदार..

– नीरज चौहान

Language: Hindi
526 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिसने हर दर्द में मुस्कुराना सीख लिया उस ने जिंदगी को जीना स
जिसने हर दर्द में मुस्कुराना सीख लिया उस ने जिंदगी को जीना स
Swati
"सोज़-ए-क़ल्ब"- ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
Manisha Manjari
नैन फिर बादल हुए हैं
नैन फिर बादल हुए हैं
Ashok deep
तुम्हारे हमारे एहसासात की है
तुम्हारे हमारे एहसासात की है
Dr fauzia Naseem shad
#सामयिक_रचना
#सामयिक_रचना
*Author प्रणय प्रभात*
3236.*पूर्णिका*
3236.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
योगा डे सेलिब्रेशन
योगा डे सेलिब्रेशन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शीर्षक:जय जय महाकाल
शीर्षक:जय जय महाकाल
Dr Manju Saini
मुहब्बत की दुकान
मुहब्बत की दुकान
Shekhar Chandra Mitra
आम आदमी
आम आदमी
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
फितरत
फितरत
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई
वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आवो पधारो घर मेरे गणपति
आवो पधारो घर मेरे गणपति
gurudeenverma198
समझ ना आया
समझ ना आया
Dinesh Kumar Gangwar
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
कवि रमेशराज
पहले साहब परेशान थे कि हिन्दू खतरे मे है
पहले साहब परेशान थे कि हिन्दू खतरे मे है
शेखर सिंह
पार्वती
पार्वती
लक्ष्मी सिंह
जिंदगी में पराया कोई नहीं होता,
जिंदगी में पराया कोई नहीं होता,
नेताम आर सी
पेड़ लगाए पास में, धरा बनाए खास
पेड़ लगाए पास में, धरा बनाए खास
जगदीश लववंशी
पूरा जब वनवास हुआ तब, राम अयोध्या वापस आये
पूरा जब वनवास हुआ तब, राम अयोध्या वापस आये
Dr Archana Gupta
युग परिवर्तन
युग परिवर्तन
आनन्द मिश्र
नए मौसम की चका चोंध में देश हमारा किधर गया
नए मौसम की चका चोंध में देश हमारा किधर गया
कवि दीपक बवेजा
*तुम्हारी पारखी नजरें (5 शेर )*
*तुम्हारी पारखी नजरें (5 शेर )*
Ravi Prakash
हंसी मुस्कान
हंसी मुस्कान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
फ़साना-ए-उल्फ़त सुनाते सुनाते
फ़साना-ए-उल्फ़त सुनाते सुनाते
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
प्रणय निवेदन
प्रणय निवेदन
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
अंतरंग प्रेम
अंतरंग प्रेम
Paras Nath Jha
कभी बारिश में जो भींगी बहुत थी
कभी बारिश में जो भींगी बहुत थी
Shweta Soni
Loading...