Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jun 2022 · 1 min read

मेरा अक्स तो आब है।

मेरी नियत पे शक ना कर।
मेरा नफ्स तो साफ है।।1।।

तेरे फालतू के वस वसे है।
मेरा अक्स तो आब है।।2।।

मैं पीने का आदी नहीं हूं।
आज दिल ये बेताब है।।3।।

अपने हाथों से मिला दे।
पुरानी मस्त शराब है।।4।।

चेहरे की तेरे क्या बात है।
तेरा हुस्न लाज़वाब है।।5।।

कोई कैसे रखे काबू खुदपे।
हूरों जैसा तेरा शबाब है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

176 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जागो रे बीएलओ
जागो रे बीएलओ
gurudeenverma198
*भगवान गणेश जी के जन्म की कथा*
*भगवान गणेश जी के जन्म की कथा*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मेरे जग्गू दादा
मेरे जग्गू दादा
Baishali Dutta
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
श्याम सिंह बिष्ट
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सीधे साधे बोदा से हम नैन लड़ाने वाले लड़के
सीधे साधे बोदा से हम नैन लड़ाने वाले लड़के
कृष्णकांत गुर्जर
"इन्तहा"
Dr. Kishan tandon kranti
बेजुबान तस्वीर
बेजुबान तस्वीर
Neelam Sharma
प्रेम
प्रेम
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
नयी सुबह
नयी सुबह
Kanchan Khanna
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
प्रेरणा गीत (सूरज सा होना मुश्किल पर......)
प्रेरणा गीत (सूरज सा होना मुश्किल पर......)
अनिल कुमार निश्छल
21वीं सदी के सपने (पुरस्कृत निबंध) / मुसाफिर बैठा
21वीं सदी के सपने (पुरस्कृत निबंध) / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
बट विपट पीपल की छांव ??
बट विपट पीपल की छांव ??
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
💐प्रेम कौतुक-338💐
💐प्रेम कौतुक-338💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जागो तो पाओ ; उमेश शुक्ल के हाइकु
जागो तो पाओ ; उमेश शुक्ल के हाइकु
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
" पुराने साल की बिदाई "
DrLakshman Jha Parimal
बहुत सोर करती है ,तुम्हारी बेजुबा यादें।
बहुत सोर करती है ,तुम्हारी बेजुबा यादें।
पूर्वार्थ
"चोट्टे की दाढ़ी में झाड़ू की सींक
*Author प्रणय प्रभात*
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
होली के मजे अब कुछ खास नही
होली के मजे अब कुछ खास नही
Rituraj shivem verma
पिता के पदचिह्न (कविता)
पिता के पदचिह्न (कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
खुदा के वास्ते
खुदा के वास्ते
shabina. Naaz
रिश्तों का गणित
रिश्तों का गणित
Madhavi Srivastava
जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी
जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
इश्क़ का दस्तूर
इश्क़ का दस्तूर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
23/73.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/73.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ले बुद्धों से ज्ञान
ले बुद्धों से ज्ञान
Shekhar Chandra Mitra
बड़े शत्रु को मार अकड़ना अच्छा लगता है (हिंदी गजल/गीतिका)
बड़े शत्रु को मार अकड़ना अच्छा लगता है (हिंदी गजल/गीतिका)
Ravi Prakash
Loading...