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31 May 2021 · 2 min read

मित्र के नाम दिलश: पत्र

तुम्हारी चित्रकारी अद्भुत थी ! ‘थी’ पर इसलिए जोर है, क्योंकि आजकल ‘मेरी यह जान’ व्यवसायी हो गए हैं!

मैंने अपनी ज़िंदगी का 3 वर्ष ‘नारायणपुर’ में बिताया है, जहाँ ‘रईश’ का घर है और रईश ने उन दिनों इतने ही वर्ष ‘नवाबगंज’ में बिताए, जहाँ मेरा घर है !
‘पाठक सर’ के यहाँ हर दिन दो टाइम मुलाकात होती ! मैट्रिक एक बहाना था, क्योंकि यहाँ दो कलाकार मिल रहे थे ! ‘होनहार बिरवान’ होते हैं या नहीं, मैं यह नहीं जानता ! किन्तु पाठक सर ने हममें साहित्य साधे!

पाठक सर ‘मायाजाल’ और ‘अहंकार’ में नहीं कुलबुलाते, तो निश्चित ही उनकी हिंदी ज्ञानविथि उन्हें ‘साहित्य अकादमी’ सम्मान प्राप्तकर्त्ता की फ़ेहरिश्त में जगह दिलाती !

प्रसंगश: कहना है, मैंने हिंदी फिल्म ‘शोले’ कई बार देखा है ।
रईश जावेद से प्रथम मिलन के समय मैं उन्हें ‘शोले’ के पटकथा-लेखक ‘सलीम जावेद’ के परिवार से समझता था । सचमुच में, गोरे-चिट्टे ‘रईश’ फ़िल्मी कलाकार के परिवार से ही लगते हैं । मैट्रिक तक तो यही लगता था !

इंटर कक्षा में ही जान सका कि सलीम-जावेद दो व्यक्ति हैं, एक सलीम खान, दूजे जावेद अख़्तर !

स्नातक-क्रम में रईश को मैंने बहुत ढूँढ़ा, वो शायद वास्तव में फ़िल्मी दुनिया के सदस्य बनने बम्बई (मुम्बई) चले गए थे और मैं आईएएस का ख़्वाब लिए पहले दिल्ली, फिर इलाहाबाद और अंत में ‘पटना’ बस गया !

रईश से उस दशक में 1994 में अंतिम मुलाकात हुई थी, तो गत दशक में 2008 में ! इस दशक में ‘भौतिक’ रूप से अबतक नहीं ! हाँ, एक दिन अचानक मनिहारी में उन्हें देखभर ही सका था, वह बाइक पर थे, पीछे उनकी सुंदर बीवी यानी मेरी भाभी विराज रही थी, फिर सेकेंड के सौवें हिस्से लिए वे फुर्र हो गए थे !

हम दोनों के घर की दूरी मात्र 3 किलोमीटर है । दोनों की कार्य-व्यस्तता अलग-अलग हैं । ‘फ़ेसबुक’ ने दोनों को फिर मिलाया, अभी इस तकनीक के कारण ही जुड़ा हूँ !

दोस्त ! पहले तुम्हें ‘एम एफ हुसैन’ या ‘राजा रवि वर्मा’ देखना चाहता था !
परंतु अब तुम्हें रईश जावेद ही देखना चाहता हूँ, किन्तु चित्रकार के रूप में !

….. और तुम्हारी उम्र ‘100’ साल के पार हो ही, ताकि अपने इस ‘अदना’ मित्र पर लिख सको–

“तुम वो हस्ती हो दोस्त, जो आसमान छुकर भी ये एहसास नहीं होने देते हो, जबकि लोग यहाँ चाँद छूले, तो अपनी ख्याति के लिए कह दे कि मैंने आसमान छू लिया है!”

तुम सिर्फ नाम से ही नहीं, धन से ही नहीं, अपितु दिल से भी ‘रईश’ हो! ….और मेरे लिए ‘दिलवाले’ रईश ही बने रहो, हमेशा ! शुक्रिया दोस्त !

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 262 Views
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