Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2016 · 1 min read

“मानव बन कर जियो जिन्दगी”

हमारे पुत्रों नील श्रीवास्तव व भूषण श्रीवास्तव के प्रति उनके जन्म दिवस के शुभ अवसर पर स्नेहाशीष….

जन्म दिवस की कोटि बधाई, जीना शत-शत वर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

कठिन परिश्रम मूल मंत्र है, खुद को नित्य तपाओ,
साथ तुम्हारे मिले सुहागा, तुम कुंदन बन जाओ,
ऋद्धि-सिद्धि आशीष तुम्हें दें, सुखमय हों सब वर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

नित्य निरंतर करो साधना, बनकर साधक योगी,
दोगे जब सम्मान सभी को, सब होंगे सहयोगी,
सरस्वती की सदा कृपा हो, जीवन में उत्कर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

पथ के कंटक दूर सभी हों, मिले न विपदा कैसी,
बाधाएं सब पार कर सको, बुद्धि प्रखर हो ऐसी,
गणपति गौरी विष्णु-लक्ष्मी, रक्षा करें सहर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

जिज्ञासा से सदा-सर्वदा, भरना ज्ञान कमंडल,
विनय तुम्हारा आभूषण हो, सौम्य रहे मुखमंडल
पग-पग पर ही मिले विजयश्री, पार करो संघर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

लक्ष्य प्राप्ति हो, रहो प्रफुल्लित, शुद्ध रहे मन अंतर,
सत्कर्मों से भाग्य बनेगा, करना कर्म निरंतर,
नित्य रहे गुरु कृपा शीश पर, कभी न हो अपकर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

सस्नेह
तुम्हारा पिता:
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’

Language: Hindi
Tag: गीत
246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" पुराने साल की बिदाई "
DrLakshman Jha Parimal
अनन्त तक चलना होगा...!!!!
अनन्त तक चलना होगा...!!!!
Jyoti Khari
कोरोना भगाएं
कोरोना भगाएं
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चंदा मामा (बाल कविता)
चंदा मामा (बाल कविता)
Ravi Prakash
सरकार बिक गई
सरकार बिक गई
साहित्य गौरव
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
उगते हुए सूरज और ढलते हुए सूरज मैं अंतर सिर्फ समय का होता है
उगते हुए सूरज और ढलते हुए सूरज मैं अंतर सिर्फ समय का होता है
Annu Gurjar
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
रोज़ आकर वो मेरे ख़्वाबों में
रोज़ आकर वो मेरे ख़्वाबों में
Neelam Sharma
मुझे न कुछ कहना है
मुझे न कुछ कहना है
प्रेमदास वसु सुरेखा
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
सत्य कुमार प्रेमी
बैसाखी....
बैसाखी....
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
हस्ती
हस्ती
Shyam Sundar Subramanian
"नए सवेरे की खुशी" (The Joy of a New Morning)
Sidhartha Mishra
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"शाम की प्रतीक्षा में"
Ekta chitrangini
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
स्टेटस अपडेट देखकर फोन धारक की वैचारिक, व्यवहारिक, मानसिक और
स्टेटस अपडेट देखकर फोन धारक की वैचारिक, व्यवहारिक, मानसिक और
विमला महरिया मौज
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
💐 Prodigy Love-9💐
💐 Prodigy Love-9💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रंग जीवन के
रंग जीवन के
kumar Deepak "Mani"
शुभ हो अक्षय तृतीया सभी को, मंगल सबका हो जाए
शुभ हो अक्षय तृतीया सभी को, मंगल सबका हो जाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
तन्हा -तन्हा
तन्हा -तन्हा
Surinder blackpen
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
Anil Mishra Prahari
माँ की यादें
माँ की यादें
मनोज कर्ण
23/34.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/34.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
पंचतत्व
पंचतत्व
लक्ष्मी सिंह
"लिख सको तो"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...