Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2021 · 2 min read

120. माँ मेरी सहेली

माँ की ममता सबसे प्यारी ,
कहती हमें वो राज दुलारी ।
बेटों से भी ज्यादा मानती ,
मुझे ही अपना बेटा जानती ।।

मेरे मन में होती जो भी बात ,
बेझिझक कहती हूँ उसके साथ ।
कुछ कहने में उससे डर ना लगती ,
वो मुझे मेरी सहेली सी दिखती ।।

कुछ भी छिपाऊँ उससे तो,
मेरा मन बहुत घबराता है ।
उससे कहे बिना मेरे दिल को,
कहीं चैन नहीं मिल पाता है ।।

अच्छा हो या बुरा,
सब बातें माँ से कहती हूँ ।
कुछ गलत न हो मेरी जिंदगी में,
इसलिये सहेली की तरह रहती हूँ।।

गर जो मैं थोड़ी परेशान रहती तो,
मन ही मन मेरी बात जान लेती है।
बिन कहे ही माँ मेरी, ना जाने कैसे,
सब परेशानी दूर कर देती है ।।

उसका दिल है ममता का सागर,
सदा खुशी ही खुशी वो देती है ।
इन खुशियों के बदले में हमसे,
माँ कभी भी कुछ नहीं लेती है।।

माँ मेरे लिए है एक खंभा,
उसे ही मानती मैं जगदंबा ।
सारे जग में ईश्वर पहुँच न पाते,
इसलिये वो माँ को बनाते ।।

माँ का प्यार पाने को वो भी,
खुद धरती पर बच्चा बनकर आते ।
ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों का,
पूरा त्रिलोक ही इसी ममता में समाते ।।

नोट :- यह कविता मैं अपनी पत्नी हेतु उसकी माँ के लिए मदर्स डे पर लिखा था । लेकिन ऐसे यह कविता उन समस्त माताओं और उनकी बेटे – बेटीयों के लिए है । जो माँ – बेटा – बेटी तीनों बिल्कुल सहेली की तरह रहते हैं उसके प्यार में यह समर्पित है मेरी कविता । अच्छा लगे तो आपलोग कृप्या अपना आशीर्वाद जरूर देंगे ।

कवि – मन मोहन कृष्ण
तारीख – 08/05/2021
समय – 08 : 42 ( रात्रि )
संपर्क – 9065388391

Language: Hindi
657 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
कवि दीपक बवेजा
एक और सुबह तुम्हारे बिना
एक और सुबह तुम्हारे बिना
Surinder blackpen
मेरी माटी मेरा देश🇮🇳🇮🇳
मेरी माटी मेरा देश🇮🇳🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चश्मे
चश्मे
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आज भी अधूरा है
आज भी अधूरा है
Pratibha Pandey
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
■ चुनावी साल, संक्रमण काल।
■ चुनावी साल, संक्रमण काल।
*Author प्रणय प्रभात*
Fool's Paradise
Fool's Paradise
Shekhar Chandra Mitra
ताजन हजार
ताजन हजार
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
है कश्मकश - इधर भी - उधर भी
है कश्मकश - इधर भी - उधर भी
Atul "Krishn"
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
मैं कुछ इस तरह
मैं कुछ इस तरह
Dr Manju Saini
चेहरा और वक्त
चेहरा और वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अहमियत इसको
अहमियत इसको
Dr fauzia Naseem shad
One day you will realized that happiness was never about fin
One day you will realized that happiness was never about fin
पूर्वार्थ
नारी
नारी
Bodhisatva kastooriya
गले लगाना है तो उस गरीब को गले लगाओ साहिब
गले लगाना है तो उस गरीब को गले लगाओ साहिब
कृष्णकांत गुर्जर
गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा
गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा
कवि रमेशराज
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
Hanuman Ramawat
गिरता है गुलमोहर ख्वाबों में
गिरता है गुलमोहर ख्वाबों में
शेखर सिंह
सफ़र
सफ़र
Shyam Sundar Subramanian
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
Ravi Prakash
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
Sanjay ' शून्य'
मिसाल
मिसाल
Kanchan Khanna
पिछले पन्ने 8
पिछले पन्ने 8
Paras Nath Jha
अपनी स्टाईल में वो,
अपनी स्टाईल में वो,
Dr. Man Mohan Krishna
🌱कर्तव्य बोध🌱
🌱कर्तव्य बोध🌱
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
अनवरत....
अनवरत....
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
💐प्रेम कौतुक-240💐
💐प्रेम कौतुक-240💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...