Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2017 · 1 min read

भक्ति दर्शन

माँ की भक्ति………
………………………………….
एक नशा भक्ति का मुझपे छाने लगा।
माँ के सजदे में सर मैं झुकाने लगा।।

तेरे सजदे में देखा नही रात दिन।
भक्त बनता गया मैं सवरने लगा।।

प्यार तेरा मिला मुझको मईया मेरी।
रात दिन द्वार तेरे मैं आने लगा।।

तेरे भक्ति की आदत ये थमती नहीं।
जोत बन तेरे दरपे ही जलने लगा।।

मन ऐ कहता रहा अबतो रुक जा यहीं।
मन को दुत्कार मैं भक्ति करने लगा।।

तू तो ममतामयी है माँ अम्बे मेरी।
पाकर कृपा तेरी मैं निखरने लगा।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

390 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
मैं नारी हूं...!
मैं नारी हूं...!
singh kunwar sarvendra vikram
|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
हिंदी दिवस की बधाई
हिंदी दिवस की बधाई
Rajni kapoor
@ranjeetkrshukla
@ranjeetkrshukla
Ranjeet Kumar Shukla
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
gurudeenverma198
धरती का बेटा
धरती का बेटा
Prakash Chandra
"बेजुबान"
Pushpraj Anant
रखकर कदम तुम्हारी दहलीज़ पर मेरी तकदीर बदल गई,
रखकर कदम तुम्हारी दहलीज़ पर मेरी तकदीर बदल गई,
डी. के. निवातिया
मैं हर महीने भीग जाती हूँ
मैं हर महीने भीग जाती हूँ
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
■ आज का दोहा...
■ आज का दोहा...
*Author प्रणय प्रभात*
समूह
समूह
Neeraj Agarwal
*अहमब्रह्मास्मि9*
*अहमब्रह्मास्मि9*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आंखों में
आंखों में
Surinder blackpen
मुझे चाहिए एक दिल
मुझे चाहिए एक दिल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
सत्य कुमार प्रेमी
"मोबाइल फोन"
Dr. Kishan tandon kranti
इक तेरे सिवा
इक तेरे सिवा
Dr.Pratibha Prakash
जो विष को पीना जाने
जो विष को पीना जाने
Pt. Brajesh Kumar Nayak
महादेव ने समुद्र मंथन में निकले विष
महादेव ने समुद्र मंथन में निकले विष
Dr.Rashmi Mishra
*जो अपना छोड़‌कर सब-कुछ, चली ससुराल जाती हैं (हिंदी गजल/गीतिका)*
*जो अपना छोड़‌कर सब-कुछ, चली ससुराल जाती हैं (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
जो बीत गया उसकी ना तू फिक्र कर
जो बीत गया उसकी ना तू फिक्र कर
Harminder Kaur
जन्म नही कर्म प्रधान
जन्म नही कर्म प्रधान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आखिर कब तक?
आखिर कब तक?
Pratibha Pandey
मुश्किल जब सताता संघर्ष बढ़ जाता है🌷🙏
मुश्किल जब सताता संघर्ष बढ़ जाता है🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पेड़ नहीं, बुराइयां जलाएं
पेड़ नहीं, बुराइयां जलाएं
अरशद रसूल बदायूंनी
3311.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3311.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
मेघों का मेला लगा,
मेघों का मेला लगा,
sushil sarna
अगर प्यार  की राह  पर हम चलेंगे
अगर प्यार की राह पर हम चलेंगे
Dr Archana Gupta
Tum hame  nist-ee nabut  kardo,
Tum hame nist-ee nabut kardo,
Sakshi Tripathi
Loading...