Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Apr 2022 · 7 min read

ब्रेक अप

ब्रेकअप

वर्तमान भौतिकता वादी समाज में सात फेरे लेने का अर्थ आज भी सात जन्मों का बंधन है। यह कहीं से कॉन्ट्रैक्ट दृष्टिगत नहीं होता है। पति- पत्नी के बीच विश्वास का अटूट बंधन आपसी संबंधों को प्रगाढ़ता प्रदान करता है। किन्तु जब विश्वास और अविश्वास के मध्य पति- पत्नी के रिश्ते झूलने लगते हैं, तो, जीवन की नैया अधर में डगमगाने लगती है। हिचकोले खाती नैया कब यात्रा से विराम ले ले, पता नहीं चलता।

एकाकी जीवन जीना आसान नहीं होता ।वे सामाजिक दृष्टि कोण से और मान सम्मान की दृष्टि से भी हंसी के पात्र बन जाते हैं ।

वर्तमान काल में, युवक -युवतियांँ पाश्चात्य जगत के विचारों से अत्यधिक प्रभावित हैं। पाश्चात्य फैशन को अपनाकर वे अपने आप को आधुनिक समझते हैं। इसी क्रम में, वे माता-पिता के धन का अनाप-शनाप व्यय करते हैं ।उनके जीवन की सोच वास्तविकता से परे काल्पनिक जगत की होती है ।जो भारतवर्ष जैसे आध्यात्मिक देश में उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने पर विवश कर देती है। माता पिता के संस्कार देर सवेर जागृत होते हैं।

काल्पनिक जगत में यथार्थ के थपेड़े दुखदाई होते हैं। जो थपेड़ों की मार सह कर संभल गया ,उसका विवाह बंधन ठीक रास्ते पर गति करता है। जो इन थपेड़ों से बिखर गया ,वह अनजान गलियों में एकाकी जीवन व्यतीत कर रहा होता है।

डॉक्टर अंबर एक आशावादी पूर्णतया शिक्षित अनुभवी व्यक्ति हैं। अपने जीवन काल में उन्होंने कई परिवारों के बनते- बिगड़ते रिश्तों को अपनी सूझबूझ से बिखरने से बचाया है।

उनकी एक शिष्या है ,जो उम्र व अनुभव में उनसे बहुत छोटी है ।उसका नाम डा. सौम्या है ।उसने निजी चिकित्सा महाविद्यालय से चिकित्सा शास्त्र की डिग्री ली है ।वह अत्यंत व्यवहार कुशल, मृदु स्वभाव की चुलबुल चिकित्सक है ।जिससे डा अंबर अत्यंत स्नेह करते हैं।

डा.अंबर और डा. सौम्या संजीवनी चिकित्सालय में परामर्शदाता है। जब डा.सौम्या क्लिनिक समाप्त करती,तो एक बार एक बार डा. अंबर से भेंट करना ना भूलती। डॉक्टर अंबर उसे चिकित्सा जगत के अपने अनुभव सुना कर उसका उत्साहवर्धन करते ।

डॉ सौम्या धनाढ्य परिवार की पुत्री हैं। उनके परिवार में उपहारों की कोई कमी नहीं है।वे अकूत धन के मालिक हैं ।उनकी समाज में मान -प्रतिष्ठा है। डॉक्टर सौम्या अपने खर्चीले स्वभाव के लिए जानी जाती हैं। अत्यंत आधुनिक पोशाक, आभूषण और रूप सज्जा उनके शौक हैं। वह रिक्त समय मे चित्रकारी करती हैं ।

उनकी माताजी सौम्या के खर्चीले स्वभाव में बाधक हैं। वे उसे रोकते हुए कहती हैं कि, बेटी इतनी महंगी पोशाक पहनने की योग्यता होनी चाहिए। जब तेरा विवाह संपन्न हो जाएगा तब अपना शौक पूरा करना ज्यादा अच्छा लगेगा ।माता पिता के पैसों पर शौक पूरा नहीं करते ।

बेचारी सौम्या कमाते हुए भी मन मसोसकर रह जाती ।सौम्या के माता- पिता ने उसकी बढ़ती उम्र का ध्यान करके एक चिकित्सक से उसका विवाह तय कर दिया ।

सौम्या को चिकित्सक बिरादरी से चिढ़ है।वह पुलिस अधिकारी से विवाह करने में रुचि रखती है। उन्होंने अपने माता-पिता से अपनी बात कही है ,किंतु उनके माता-पिता सौम्या को अनसुना कर देते हैं। बेचारी सौम्या खिसिया कर रह जाती है ,और ,अपनी खीज डा. अंबर से मशविरा कर दूर करती है। कभी- कभी उसकी आंखों में बेबसी के आंसू नजर आते हैं।

आधुनिक पाश्चात्य सभ्यता के आजाद गगन में बिचरण करने वाली सौम्या अपने माता -पिता के सामने बेबस नजर आती है।

कभी वह डॉक्टर अंबर से कहती है, मैं शादी नहीं करूंगी ।शादी करूंगी तो अपनी मर्जी से ,अन्यथा नहीं। मेरे अनेक पुरुष -महिला मित्र हैं ,जो महाविद्यालय में हमारे साथ उत्तीर्ण हुए हैं। वे मेरी मदद करेंगे। किंतु उसका हठ अपने माता पिता पर नहीं चलता । उसके माता -पिता उसकी हंसी उड़ाते हुये कहते, मेरी लाडो !अभी इतनी बड़ी नहीं हुई ,कि अपने आप अपनी जिंदगी का निर्णय कर सके। डॉक्टर सौम्या इस बेबसी पर आंसू बहाती तो माता के भी आंखों में आंसू छलक उठते।वे सिर पर हाथ फेरते हुए कहती, कितने लाड़ -प्यार से तुझे पाला है। मेरी बेटी अब पराए घर जा रही है। वह अपने घर बसाने जा रही है ।इन्हीं दिनों के लिए माता-पिता लड़कियों को पाल -पोस कर बड़ा करते हैं। बेटी विवाह संपन्न हो जाने दे सभी गिले-शिकवे धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे। मेरी बेटी अपने घर में राज करेगी ।बेटी माता के सीने से लग कर फूट-फूट कर रोने लगती,तब घर का वातावरण करुणा से भर जाता। घर के सदस्य गंभीर हो जाते।काफी मान- मनोबल के बाद वह विवाह हेतु राजी होती है ।

माता- पिता ने उनके छोटे बड़े प्रत्येक शौक का ध्यान रखकर पोशाक और आभूषण पसंद करने हेतु डॉक्टर सौम्या को पूरी छूट दे दी है। आज डा.सौम्या ने डॉक्टर अंबर से चहकते हुए बताया कि उसने गुलाबी लहंगा पसंद किया है। वह उसकी तस्वीर भी लायी है। लहंगा अत्यंत सुंदर है और महंगा भी। डा.अंबर उसकी खुशियों में शामिल हो जाते, और उसका उत्साह बढ़ाते हैं। उन्हें फूल सी मासूम बच्ची को विकास के पथ पर अग्रसर होते देखने का अवसर मिला है।वह इस अवसर को भुनाना चाहते हैं। डॉक्टर सौम्या ने विवाह के अवसर पर डा. अंबर को विशेष रूप से आमंत्रित किया है। वह ,डॉ.अंबर के सुझावों से अत्यंत प्रभावित हैं। डॉ.अंबर उसका विशेष ध्यान रखते हैं ।उसे स्टाफ के कटु अनुभवों से हमेशा बचाते हैं ।वह अपने को डॉ.अंबर के संरक्षण में अत्यंत सुरक्षित पाती है ।

विवाह संपन्न होने के दूसरे दिन डा. सौम्या संजीवनी चिकित्सालय ज्वाइन कर लेती है।डा.अंबर आश्चर्यचकित हो जाते हैं ।अभी नव युवा दंपति ने एक दूसरे को भलीभांति देखा भी नहीं होगा ।डॉक्टर सौम्या हनीमून का अवसर छोड़कर ड्यूटी जॉइन कर लेती है ।डा.सौम्या ने बताया कि उसे उसके साथ रहने का शौक नहीं है। यदि उसे रहना है तो मेरे साथ रहे। डॉक्टर ने पूछा ?क्या दोनों में प्रथम रात्रि में झगड़ा हुआ है?

डा.सौम्या ने गुस्से में कहा ,वह अपने आप को समझता क्या है ?यदि वह चिकित्सक है तो मैं भी चिकित्सक हूँ।मैं उससे क्यों दबूँ। पति पत्नी का रिश्ता बराबर का होता है ।यदि मैंने अपना घर छोड़ा है, तो उसे भी त्याग करना होगा ।

डॉक्टर अंबर डा सौम्या के कच्चे अनुभव से वाकिफ थे। वह बात- बात पर तुनक जाती। अतः डॉक्टर अंबर ने सोचा कि समय के साथ अनुभव बढ़ने पर समाधान मिल जाएगा ,और उसे समझाया- बेटा समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। अभी कोई जल्दी बाजी में निर्णय नहीं करना ।थोड़ा इंतजार करो और ठीक समय आने की प्रतीक्षा करो ।

डॉक्टर सौम्या ने गुस्से में कहा-माता-पिता ने मेरी मर्जी के विरुद्ध मेरा विवाह अनजान लड़के से कर दिया। मैंने सब सह लिया। आप लोगों ने भी कहा लड़का अच्छा है ,मैंने आप लोगों की बात मान ली। मेरा भी वजूद है। मेरी भी अपनी जीवनशैली है, मैं अपने हिसाब से रह सकती हूं। यदि वह मेरी बात नहीं मानता तो, ब्रेकअप कर लूंगी।

डॉक्टर अंबर भौचक्का रह गए ।अभी जुम्मे जुम्मे आठ दिन भी नहीं हुए थे कि बात ब्रेकअप तक आ पहुंची।

डॉक्टर अंबर ने सौम्या से कहा-अपने मंगेतर से मिलवा दो। तो वह बोली ,वह यहां नहीं आना चाहता।

डॉक्टर अंबर ने राय दी ,माता पिता ने सोच-समझकर विवाह किया होगा। अच्छा कुलीन घर का संस्कारी लड़का देखकर ही माता-पिता विवाह हेतु राजी हुए होंगे। आखिर क्यों, कोई माता-पिता अपनी फूल सी लाडली बच्ची को अनजान के हवाले कर देगा। तुम थोड़ा समझदारी से काम लो और अपने पति के पास वापस लौट जाओ ।बड़ी देर के बाद वह फिर वापस पति के पास जाने को राजी हुई।

कुछ दिन बीते होंगे ,डॉक्टर सौम्या मायूस चेहरा लेकर चिकित्सालय आई। डॉक्टर अंबर से रहा नहीं गया, उन्होंने पूछा- बेटा क्या बात है ?आज बहुत दुखी हो।
डॉक्टर सौम्या ने भरे गले से कहा -सर उसका एक लड़की से चक्कर चल रहा है। वह उसे बहुत चाहता है ।उसे भूलने को भी राजी नहीं है ।उसके पीछे मुझसे बात करना बंद कर दिया है ।फोन भी स्विच ऑफ कर दिया है। वह मेरे मैसेज का जवाब भी नहीं देता। क्या करूं ?बताइए !सर मेरी क्या गलती है। मैं इन दोनों के बीच कहां खड़ी हूँ।उसके परिवार वाले कह रहे थे, सब ठीक हो जाएगा। समय के साथ वह उसे भूल जाएगा ।क्या मेरी इच्छा उससे बात करने की नहीं होती? आखिर मैं कैसे समझौता करू? उसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी।

डॉक्टर अंबर ने कहा- बेटा विवाह पूर्व जो उसके संबंध है, वह उसे भूल सकता है। पत्नी का उत्तर दायित्व है कि वह अपने पति को पल्लू से बांध कर रखें। तुम्हें उसे बांधकर रखना होगा ।उसकी आवारगी के लिए सब तुम्हें ही उत्तरदायी ठहरायेंगे।

समाज की यही रीति है, विवाह के उपरांत समाज की रीति-रिवाजों का ध्यान रखना होता है। यह पुरुष प्रधान समाज तुम्हें तभी प्रतिष्ठित करेगा जब तुम पति का सम्मान पाओगी।

डॉ सौम्या ने कहा -मुझे ही सब गलत ठहरा रहे हैं। घर में माता पिता मुझे गलत ठहराते हैं। इसलिए कि ,मैं लड़की हूँ। किंतु, मैं लड़की होकर अपने पैरों पर खड़ी हूँ। किसी की दया का मोहताज नहीं हूँ। मैं एकाकी जीवन यापन कर सकती हूँ

। डॉक्टर सौम्या का अहंकार बार-बार उसके रिश्ते सामान्य होने में आड़े आ रहा था। उधर डॉक्टर महेश सौम्या का पति
झुकने को तैयार नहीं था। टकराव की स्थिति बनी हुई थी।डा .सौम्या ने इसका समाधानअपने स्तर से ढूंढ निकाला ।उसने एक दर्शनीय स्थल जाने की योजना बनाई। हनीमून का समय इतने टकराव के बाद आया ।दोनों खुशी-खुशी हनीमून पर रवाना हो गए।

प्रेम विवाह में लड़का -लड़की आपस में एक दूसरे को समझने लगते हैं। उन्हें एक दूसरे के स्वभाव का पता होता है। किंतु, दो अंजाने युवक- युवतियाँ जब आमने-सामने होते हैं ,तो, उनके स्वार्थ औरअहंकार टकराते हैं ।जो इन टकराव को तूल नहीं देते ,वे सम्भल जाते हैं। जो इस टकराव के लिए एक दूसरे को उत्तरदायी मानते हैं ,वे टूट जाते हैं।

डा सौम्या का वैवाहिक जीवन पटरी पर लौट रहा है ।उनका आपस में प्यार बढ़ रहा है। एक दूसरे के लिए त्याग की भावना पनप रही है ।एक दूसरे के प्रति विश्वास और समर्पण बढ़ रहा है। जिसने उन्हें ब्रेकअप से बचा लिया है।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

Language: Hindi
1 Like · 529 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
बालबीर भारत का
बालबीर भारत का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मुस्कुराहटे जैसे छीन सी गई है
मुस्कुराहटे जैसे छीन सी गई है
Harminder Kaur
🙏 अज्ञानी की कलम🙏
🙏 अज्ञानी की कलम🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
दर्द
दर्द
Bodhisatva kastooriya
फ़र्क़..
फ़र्क़..
Rekha Drolia
भगोरिया पर्व नहीं भौंगर्या हाट है, आदिवासी भाषा का मूल शब्द भौंगर्यु है जिसे बहुवचन में भौंगर्या कहते हैं। ✍️ राकेश देवडे़ बिरसावादी
भगोरिया पर्व नहीं भौंगर्या हाट है, आदिवासी भाषा का मूल शब्द भौंगर्यु है जिसे बहुवचन में भौंगर्या कहते हैं। ✍️ राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Dr Archana Gupta
प्रेम एक्सप्रेस
प्रेम एक्सप्रेस
Rahul Singh
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
Sandeep Kumar
पहाड़ के गांव,एक गांव से पलायन पर मेरे भाव ,
पहाड़ के गांव,एक गांव से पलायन पर मेरे भाव ,
Mohan Pandey
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
कृष्णकांत गुर्जर
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
Seema gupta,Alwar
इंसानियत
इंसानियत
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
दिल तसल्ली को
दिल तसल्ली को
Dr fauzia Naseem shad
वादा
वादा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
खांटी कबीरपंथी / Musafir Baitha
खांटी कबीरपंथी / Musafir Baitha
Dr MusafiR BaithA
पानी  के छींटें में भी  दम बहुत है
पानी के छींटें में भी दम बहुत है
Paras Nath Jha
दिलरुबा जे रहे
दिलरुबा जे रहे
Shekhar Chandra Mitra
हवलदार का करिया रंग (हास्य कविता)
हवलदार का करिया रंग (हास्य कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
राम
राम
umesh mehra
कितना छुपाऊँ, कितना लिखूँ
कितना छुपाऊँ, कितना लिखूँ
Dr. Kishan tandon kranti
ईश्वर ने तो औरतों के लिए कोई अलग से जहां बनाकर नहीं भेजा। उस
ईश्वर ने तो औरतों के लिए कोई अलग से जहां बनाकर नहीं भेजा। उस
Annu Gurjar
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
डॉ.सीमा अग्रवाल
मोबाइल
मोबाइल
लक्ष्मी सिंह
स्त्री ने कभी जीत चाही ही नही
स्त्री ने कभी जीत चाही ही नही
Aarti sirsat
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गुलाबी शहतूत से होंठ
गुलाबी शहतूत से होंठ
हिमांशु Kulshrestha
Loading...