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18 Mar 2022 · 1 min read

बोलती आँखे…

बोलती आँखे…
~~°~~°~~°
गर प्यार दिल में बसा हो ,
तो है, बोलती आंखे…
जुबां बंद हो, शर्म से क्यूँ न ,
फिर भी दिलों का राज तो है,खोलती आँखे…
मन में कितना भी छिपा लो ,
अपनी आरज़ू और विन्नतों को,
हया ग़र थोड़ी सी बची हो, वफाओं वाला,
तो क्षण में ही है, पहचानती आँखे…
सजा प्यार का ग़र हो, मस्तियों वाला,
तो पलकों को नचाती और थिरकती आँखे…
सामना किसी बेवफा से हो जाए यदि ,
तो क्रोध से अंगार बन , दहकती आँखे…
चिर निद्रा में भी सो जाए ,
यदि अपना कोई जीवन सहचर,
फिर भी उनकी अधखुली पलकों की आड़ लिए ,
मौन भाव से शून्य गगन को निहारती हुई,
प्यार की मीठी चुभन का संदेश ,
दे रही होती है, उनकी बोलती आँखे…
कसक उठती है जब,
अपनेपन का वो एहसास, इक दर्द बनकर तो,
जीवन भर रुला-रुलाकर ,
मन को पत्थर सा निष्ठुर बना देती है ,
उनकी बोलती आँखे…

मन को पत्थर सा निष्ठुर बना देती है ,
उनकी बोलती आँखे…

उनकी बोलती आँखे…
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १८ /०३ /२०२२
फाल्गुन ,शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा ,शुक्रवार ।
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 905 Views
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