Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2022 · 1 min read

!¡! बेखबर इंसान !¡!

नासमझ और बेखबर, होता क्योंकर इंसान
सोच समझ न कर्म करे, होवे क्यों मूर्ख समान
नासमझ और बेखबर………
1) दूजों को दुखड़े देकर, क्यों खुश होकर मुस्काता है
जो जैसा बोता है वह नित, वैसा ही फल पाता है
कर्म लेख नहीं मिटता प्यारे, नष्ट करो मन के अज्ञान
नासमझ और बेखबर………
2) तेरी आंखें देख रही हैं, कोई नहीं तुझे देख रहा
भ्रम में मत रहना बंदे, लिखने वाला कब से लिख रहा
अभी किया, फल अभी मिलेगा, घूमे क्यों बनकर नादान
नासमझ और बेखबर…………
3) अंत समय में पछताए, उससे पहले ही पछताले
झूठ – असत्य के पैर नहीं, फिर लगे मिलें सारे ताले
वक्त कहर बन बरसे, हो ले पहले से सावधान
नासमझ और बेखबर…………
लेखक:- खैमसिंह सैनी
M.A, B. Ed. From Rajasthan
Mob. No. 9266034599

Language: Hindi
10 Likes · 7 Comments · 531 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सँविधान
सँविधान
Bodhisatva kastooriya
हर व्यक्ति की कोई ना कोई कमजोरी होती है। अगर उसका पता लगाया
हर व्यक्ति की कोई ना कोई कमजोरी होती है। अगर उसका पता लगाया
Radhakishan R. Mundhra
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
Phool gufran
"भुला ना सकेंगे"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
SHAMA PARVEEN
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
अपना अनुपम देश है, भारतवर्ष महान ( कुंडलिया )*
अपना अनुपम देश है, भारतवर्ष महान ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
दोस्त और दोस्ती
दोस्त और दोस्ती
Neeraj Agarwal
💐प्रेम कौतुक-442💐
💐प्रेम कौतुक-442💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ज़िंदगी मोजिज़ा नहीं
ज़िंदगी मोजिज़ा नहीं
Dr fauzia Naseem shad
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
Mahendra Narayan
"प्यार में तेरे "
Pushpraj Anant
रचनात्मकता ; भविष्य की जरुरत
रचनात्मकता ; भविष्य की जरुरत
कवि अनिल कुमार पँचोली
2967.*पूर्णिका*
2967.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम तो मुठ्ठी भर हो, तुम्हारा क्या, हम 140 करोड़ भारतीयों का भाग्य उलझ जाएगा
तुम तो मुठ्ठी भर हो, तुम्हारा क्या, हम 140 करोड़ भारतीयों का भाग्य उलझ जाएगा
Anand Kumar
माँ कहने के बाद भला अब, किस समर्थ कुछ देने को,
माँ कहने के बाद भला अब, किस समर्थ कुछ देने को,
pravin sharma
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
VINOD CHAUHAN
माली अकेला क्या करे ?,
माली अकेला क्या करे ?,
ओनिका सेतिया 'अनु '
■ चुनावी साल, संक्रमण काल।
■ चुनावी साल, संक्रमण काल।
*Author प्रणय प्रभात*
नया दिन
नया दिन
Vandna Thakur
खुदारा मुझे भी दुआ दीजिए।
खुदारा मुझे भी दुआ दीजिए।
सत्य कुमार प्रेमी
ఓ యువత మేలుకో..
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
अनिल कुमार
मासूमियत
मासूमियत
Punam Pande
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
पराया हुआ मायका
पराया हुआ मायका
विक्रम कुमार
बुद्ध के संग अब जाऊँगा ।
बुद्ध के संग अब जाऊँगा ।
Buddha Prakash
मंजिल की अब दूरी नही
मंजिल की अब दूरी नही
देवराज यादव
बिना आमन्त्रण के
बिना आमन्त्रण के
gurudeenverma198
Loading...