बुझा दो प्यास ————- मुक्तक
********मुक्तक*******
बुझा दो प्यास जन जन की,तुम्हीं से आस जीवन की।
ओ बदरा घीर के आ जाओ, तपन मिट जाए हर तन की।।
निगाहें तुमपे है अटकी,भरोगे हर घट की मटकी।
बहेगी सांसों की धारा, चाहत सबकी धड़कन की।।
राजेश व्यास अनुनय
********मुक्तक*******
बुझा दो प्यास जन जन की,तुम्हीं से आस जीवन की।
ओ बदरा घीर के आ जाओ, तपन मिट जाए हर तन की।।
निगाहें तुमपे है अटकी,भरोगे हर घट की मटकी।
बहेगी सांसों की धारा, चाहत सबकी धड़कन की।।
राजेश व्यास अनुनय