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20 Jun 2022 · 1 min read

बुंदेली दोहा शब्द- थराई

बुंदेली शब्द- थराई

•पहली थराई ~
करत थराई घूमतइ , माते दौइ जुआर |
सरपंची में बउँ खड़ी, घिघिया रय हर द्वार ||
***
••दूसरी थराई
नहीं थराई के धरे , कहता साहूकार |
गानौ धर दो पैल तुम , फिर गिन लो कलदार ||
***
•••तीसरी थराई
करत थराई व्याह में , हर बिटिया को बाप |
समधी जी अब मानियो , सबई कछु है आप ||
***
••••चौथी थराई
लरका जब गलती करै , करत थराई मात् |
अबकी बेरा छोड़ दो , खतम करौ हालात ||
***
•••••पाँचवीं थराई
करत थराई चोर भी , पकरै थानेदार |
करै गिलइयाँ मूड़ धर , हा-हा लगै बजार ||
***

होय कसाई जिस जगाँ ,नहीं जोरियो हाथ |
नहीं थराई मानते , फोरत सबको माथ ||
***
आज थराई माँग रय , काल टेंटुआ घोंट |
कल्लइँ तो कुचरौ सबै , घर की समझीं सोंट ||
***
#राना सबखौ देखतइ , जौन खड़े सरपंच |
आज थराई कर रहे , करें शरम ना रंच ||
***
© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

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