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9 Mar 2019 · 1 min read

प्रीतीसुख का स्वागत (महिला दिवस पर विशेष “कविता”)

छोड़ बाबुल का अंगना
संग आई तेरे सजना
प्रीत की बंधी तुझसे डोर
मन हो गया विभोर

माथे की बिंदिया लगायी तेरे नाम की
श्रृंगार रूपी गहनों से सजी प्रीत ले स्वागत की
मनभावन फूलों की सुगंध से महके मेरा सौभाग्य
नवोदय की आगाज पर मिले मनमीत यह मेरा अहोभाग्य

सजना मधुरम नवजीवन की करेंगे हम शुरुआत
दोनों के समागम भावनाओं से होगी रस बरसात
बुनियादों का कर त्याग हमें करना कुरितियों का हनन
गर तुम निभाओ साथ मेरा सुखद होगा ये नवजीवन

ओ सजना मेरे
सुख-दुख जीवन के पहलु दो
प्रीत के सागर में साथी दो
हम दोनों प्रेमरस से एकरूप हो जाएं
इस शीतल चांदनी में
सूरज की रोशनी में
विशाल क्षितिज पर
छबि निर्मित करें
नये आलिंगन नवचेतना लिए
भावों के नादमधुर सूरताल के साथ
स्वागतम करें इस नवजीवन की

मुझे यकीन है हमारा जीवन अवश्य होगा साकार
दुःखों के कांटे कितने ही चूंभे फूलों की होगी अवश्य बहार
हम दोनों की प्रीत का संगीत याद करेगा यह संसार

आरती अयाचित
भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 263 Views
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