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17 Jun 2016 · 1 min read

पुनीत लिखूं

वर दो जगदम्ब कि लेखन में भर शक्ति व सत्य सुगीत लिखूं
मन निर्भय होकर झूम सके अब वैर नहीं बस प्रीत लिखूं
रसपूर्ण सुछंद सदैव रचूँ मन सिन्धु मथूं नवनीत लिखूं
कुछ भोग लगा कर के मधु का तव नेह प्रभाव पुनीत लिखूं
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
कवि एवं ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

Language: Hindi
429 Views
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