Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Apr 2022 · 1 min read

पिता

पिता

पिता दिवस हम नहीं मनाते,
हम तो निस दिन शीश झुकाते,
देख कठिन संघर्ष पिता का,
मन ही मन हम तो इतराते,
बिखरे रिसते रिशतो को भी,
प्यार से सींच महकाया है ,
खुद पैदल चलकर पत्थरों पर,
हमें पुष्पों पर चलवाया है ,
मातृभाषा स प्रेम पिता का ,
आदर सत्कार सिखाया है,
नम आंखों में आंसू छुपा कर ,
जगत में जीना सिखाया है ,
खुशियों का संसार पिता है ,
तमहारी व्यवहार पिता है,
परिवार का स्तंभ पिता है,
आदि हैऔर अंत पिता है।।।

✍️©अरुणा डोगरा शर्मा
मोहाली।

13 Likes · 15 Comments · 766 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Aruna Dogra Sharma
View all
You may also like:
3169.*पूर्णिका*
3169.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विकटता और मित्रता
विकटता और मित्रता
Astuti Kumari
वो ख्वाब
वो ख्वाब
Mahender Singh
वह आवाज
वह आवाज
Otteri Selvakumar
आपके पास धन इसलिए नहीं बढ़ रहा है क्योंकि आपकी व्यावसायिक पक
आपके पास धन इसलिए नहीं बढ़ रहा है क्योंकि आपकी व्यावसायिक पक
Rj Anand Prajapati
सीख
सीख
Dr.Pratibha Prakash
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
Rajesh Kumar Arjun
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
Ranjeet kumar patre
■ मौजूदा दौर...
■ मौजूदा दौर...
*Author प्रणय प्रभात*
प्यारा बंधन प्रेम का
प्यारा बंधन प्रेम का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Don't Give Up..
Don't Give Up..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
लेखनी
लेखनी
Prakash Chandra
💐प्रेम कौतुक-435💐
💐प्रेम कौतुक-435💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रिश्ता
रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
भूल जा वह जो कल किया
भूल जा वह जो कल किया
gurudeenverma198
Lambi khamoshiyo ke bad ,
Lambi khamoshiyo ke bad ,
Sakshi Tripathi
हिरनी जैसी जब चले ,
हिरनी जैसी जब चले ,
sushil sarna
मन
मन
Sûrëkhâ Rãthí
* सताना नहीं *
* सताना नहीं *
surenderpal vaidya
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
Buddha Prakash
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
ग़म-ए-जानां से ग़म-ए-दौरां तक
ग़म-ए-जानां से ग़म-ए-दौरां तक
Shekhar Chandra Mitra
आगे बढ़ना है जिन्हें, सीखें चमचा-ज्ञान (कुंडलिया )
आगे बढ़ना है जिन्हें, सीखें चमचा-ज्ञान (कुंडलिया )
Ravi Prakash
छप्पय छंद विधान सउदाहरण
छप्पय छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
हम सब में एक बात है
हम सब में एक बात है
Yash mehra
जीवन की सच्चाई
जीवन की सच्चाई
Sidhartha Mishra
वाणी का माधुर्य और मर्यादा
वाणी का माधुर्य और मर्यादा
Paras Nath Jha
प्रथम पूज्य श्रीगणेश
प्रथम पूज्य श्रीगणेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
शेखर सिंह
Loading...