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8 Sep 2017 · 1 min read

परिंदों के लिए तो आशियाना चाहिए

बह्र-रमल मुसम्मन महज़ूफ
वज़्न – 2122 2122 2122 212
ग़ज़ल
अब हमें अपना जनमदिन यूं मनाना चाहिए।
कल्पतरू अभियान में पौधे लगाना चाहिए।।

घुल गया कितना जहर आबो-हवा में दोस्तों।
जिंदा रहना तो अब सांसों का होना चाहिए।।

हम तो परजीवी है जीने को सहारा चाहिए।
जो सहारा दे रहे न अब मिटाना चाहिए।

हमने ईंटों पत्थरों से चुन लिए अपने मकां ।
पर परिंदों के लिए तो आशियाना चाहिए।।

छीन ली हरियाली हमने हो गई बेआबरू ।
खो गई वसुधा की चूनर अब उढ़ाना चाहिए।

मेरा आंगन या तेरा घर फर्क इसमे क्या “अनीश”।
है जरूरी पेड़ बस पेड़ों को होना चाहिए ।।
@nish shah

कल्पतरू अभियान सांईखेड़ा को सादर समर्पित

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