Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Oct 2016 · 2 min read

परम्पराओं का पालन या अँध बिश्बास का खेल (करबा चौथ )

परम्पराओं का पालन या अँध बिश्बास का खेल (करबा चौथ )

करवाचौथ के दिन
भारतबर्ष में सुहागिनें
अपने पति की लम्बी उम्र के लिए
चाँद दिखने तक निर्जला उपबास रखती है .
पति पत्नी का रिश्ता समस्त
इस धरती पर सबसे जरुरी और पवित्र रिश्ता है
आज के इस दौर में जब सब लोग
एक दुसरे की जान लेने पर तुलें हुयें हों
तो आजकल पत्नी का पति के लिए उपवास रखना
किसी अजूबे से कम नहीं हैं।
कहाबत है कि करवा चौथ का व्रत रखने से
पति की आयु बढती है और प्यार भी
तो क्या जिनके खानदान में ये परंपरा है
क्या वहां कोई विधवा नहीं होती
और वहां कभी कोई तलाक नहीं हुआ
अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यूं ये दिखावा
ऐसें भी दम्पति हैं सारे साल लड़ते झगड़ते है
और फिर ये दिखावा करते है
क्या जो महिलाये ये व्रत नहीं रखती
वो अपने पति से प्यार नहीं करती
क्या उनके मन में
अपने पति की उम्र की लम्बी कामना नहीं होती
क्या वे विधवा हो जाती है
नहीं ऐसा कुछ नहीं होता
हम सब ये सब जानते हैं
फिर भी ये परंपरा निभाते चले जाते है
ये अंधविश्वास नहीं तो और क्या है
आज जरुरत है पुराने अंधविश्वास को छोड़कर
नयी मान्यताओ को लेकर आगे बढना
जिसका कोई ठोस मकसद हो
वेसे भी क्या एक दिन ही काफी है
पति के लम्बी उम्र की कामना के लिए
बाकी के दिन नहीं
अगर हर रोज ये कामना करनी हैं
फिर ये करवा चौथ क्यों ?
आज के समय में
जरुरत है कि
नयी परम्पराओं को जन्म देकर
आपसी रिश्ता
कैसे मजबूत कर सकें
परस्पर मिलकर खोज करने की।

मेरी पत्नी को समर्पित एक कबिता :

*******************************************************
अर्पण आज तुमको हैं जीवन भर की सब खुशियाँ
पल भर भी न तुम हमसे जीवन में जुदा होना
रहना तुम सदा मेरे दिल में दिल में ही खुदा बनकर
ना हमसे दूर जाना तुम और ना हमसे खफा होना

अपनी तो तमन्ना है सदा हर पल ही मुस्काओ
सदा तुम पास हो मेरे ,ना हमसे दूर हो पाओ
तुम्हारे साथ जीना है तुम्हारें साथ मरना है
तुम्हारा साथ काफी हैं बाकी फिर क्या करना है

अनोखा प्यार का बंधन इसे तुम तोड़ ना देना
पराया जान हमको अकेला छोड़ ना देना
रहकर दूर तुमसे हम जियें तो बह सजा होगी
ना पायें गर तुम्हें दिल में तो ये मेरी खता होगी

परम्पराओं का पालन या अँध बिश्बास का खेल
(करबा चौथ )

मदन मोहन सक्सेना

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Comment · 464 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
काग़ज़ ना कोई क़लम,
काग़ज़ ना कोई क़लम,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
** बहाना ढूंढता है **
** बहाना ढूंढता है **
surenderpal vaidya
बह रही थी जो हवा
बह रही थी जो हवा
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
अनिल कुमार
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
Ram Krishan Rastogi
पिता
पिता
Kavi Devendra Sharma
प्रेम
प्रेम
Ranjana Verma
*वोटर के बड़-भाग (हास्य कुंडलिया)*
*वोटर के बड़-भाग (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
लोभ मोह ईष्या 🙏
लोभ मोह ईष्या 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शीत की शब में .....
शीत की शब में .....
sushil sarna
चार पैसे भी नही....
चार पैसे भी नही....
Vijay kumar Pandey
2245.
2245.
Dr.Khedu Bharti
पितृ स्तुति
पितृ स्तुति
दुष्यन्त 'बाबा'
चुप रहना ही खाशियत है इस दौर की
चुप रहना ही खाशियत है इस दौर की
डॉ. दीपक मेवाती
💐प्रेम कौतुक-352💐
💐प्रेम कौतुक-352💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सच है, दुनिया हंसती है
सच है, दुनिया हंसती है
Saraswati Bajpai
यादों की तुरपाई कर दें
यादों की तुरपाई कर दें
Shweta Soni
✍🏻 ■ रसमय दोहे...
✍🏻 ■ रसमय दोहे...
*Author प्रणय प्रभात*
मौहब्बत जो चुपके से दिलों पर राज़ करती है ।
मौहब्बत जो चुपके से दिलों पर राज़ करती है ।
Phool gufran
(22) एक आंसू , एक हँसी !
(22) एक आंसू , एक हँसी !
Kishore Nigam
मैं रात भर मैं बीमार थीऔर वो रातभर जागती रही
मैं रात भर मैं बीमार थीऔर वो रातभर जागती रही
Dr Manju Saini
यह जरूर एक क्रांति है... जो सभी आडंबरो को तोड़ता है
यह जरूर एक क्रांति है... जो सभी आडंबरो को तोड़ता है
Utkarsh Dubey “Kokil”
माँ
माँ
SHAMA PARVEEN
फिर से
फिर से
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
कोहरा और कोहरा
कोहरा और कोहरा
Ghanshyam Poddar
बहू-बेटी
बहू-बेटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
योग
योग
लक्ष्मी सिंह
माई कहाँ बा
माई कहाँ बा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तेरे हक़ में
तेरे हक़ में
Dr fauzia Naseem shad
जीवन मंत्र वृक्षों के तंत्र होते हैं
जीवन मंत्र वृक्षों के तंत्र होते हैं
Neeraj Agarwal
Loading...