पत्थरों की कहानियाँ लिख दो
पत्थरों की कहानियाँ लिख दो
ख़ुश्क आँखों रवानियाँ लिख दो
फ़िर वही तज़करा एे ज़िंदगानी
बुढ़ी क़लमों जवानियाँ लिख दो
लिख दो तालाब सूखने को हैं
बारिशों की कहानियाँ लिख दो
टूट जाये सदी की ख़ामोशी
इक क़दर बे’ज़ुबानियाँ लिख दो
अब क़लम ने कह दिया ‘नासिर’
तुम भी अपनी निशानियाँ लिख दो
– नासिर राव