Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2021 · 1 min read

पतन के रास्ते पर मैं

था मानवता की पूजा कर चमन के रास्ते पर मैं
मन को छोड़कर आया था धन के रास्ते पर मैं
जबसे आदमी से कद्र ज्यादा दौलतों की की
तबसे ही चला आया पतन के रास्ते पर मैं

बहुत कुछ खो दिया मैंने, महज थोडा़ सा पाने में
कि मैं उलझा रहा हरदम, दिखावे को दिखाने में
कोई जज्बात भी न थे, न कोई भाव था मुझमें
खोया मैं तो था एहसासों के कीमत लगाने में
कभी चलना न चाहा अपनेपन के रास्ते पर मैं
तबसे ही चला आया पतन के रास्ते पर मैं

सदा संपन्न लोगों के ही मैं तो पास रहता था
मुझे धनवान बनना है यही आभास रहता था
लाचारी और मजबूरी किसी की न समझता था
सारे दायरों, बंधन को मैं बकवास कहता था
बस चलता ही जाता था मन के रास्ते पर मैं
तबसे ही चला आया पतन के रास्ते पर मैं

किया जो करना न था और लगाया आग पानी में
भलाई कर नहीं पाया कोई मैं जिंदगानी में
बना निर्दयी और निष्ठुर माया-मोह में पड़कर
दया का भाव कोई था नहीं मेरी कहानी में
ईर्ष्या हावी थी और था जलन के रास्ते पर मैं
तबसे ही चला आया पतन के रास्ते पर मैं

विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 2 Comments · 232 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चंदा तुम मेरे घर आना
चंदा तुम मेरे घर आना
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
💐प्रेम कौतुक-458💐
💐प्रेम कौतुक-458💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
श्री बिष्णु अवतार विश्व कर्मा
श्री बिष्णु अवतार विश्व कर्मा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अंध विश्वास एक ऐसा धुआं है जो बिना किसी आग के प्रकट होता है।
अंध विश्वास एक ऐसा धुआं है जो बिना किसी आग के प्रकट होता है।
Rj Anand Prajapati
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
कवि दीपक बवेजा
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
Pratibha Pandey
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
Kuldeep mishra (KD)
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
विजय कुमार अग्रवाल
शायद शब्दों में भी
शायद शब्दों में भी
Dr Manju Saini
मजबूरी तो नहीं
मजबूरी तो नहीं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
Harsh Nagar
मन-गगन!
मन-गगन!
Priya princess panwar
जिन्हें रोते-रोते
जिन्हें रोते-रोते
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
Taj Mohammad
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
श्रीकृष्ण शुक्ल
संचित सब छूटा यहाँ,
संचित सब छूटा यहाँ,
sushil sarna
शराब हो या इश्क़ हो बहकाना काम है
शराब हो या इश्क़ हो बहकाना काम है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दिल के जख्म
दिल के जख्म
Gurdeep Saggu
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
मौत का रंग लाल है,
मौत का रंग लाल है,
पूर्वार्थ
हर रात की
हर रात की "स्याही"  एक सराय है
Atul "Krishn"
नया सपना
नया सपना
Kanchan Khanna
चलना, लड़खड़ाना, गिरना, सम्हलना सब सफर के आयाम है।
चलना, लड़खड़ाना, गिरना, सम्हलना सब सफर के आयाम है।
Sanjay ' शून्य'
"सच्चाई"
Dr. Kishan tandon kranti
ग्रंथ
ग्रंथ
Tarkeshwari 'sudhi'
अज्ञानी की कलम
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
।। आरती श्री सत्यनारायण जी की।।
।। आरती श्री सत्यनारायण जी की।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2616.पूर्णिका
2616.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...