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17 Jun 2022 · 1 min read

धुआं उठा है कही,लगी है आग तो कही

धुआं उठा है कही,लगी है तो आग कही।
बात उठी है तो,दामन में है तो दाग कहीं।।

समझाया है मैंने उनको,पर वे तो मानते नहीं।
मिलते है जरूर मुझसे,पर उनका ध्यान कहीं।।

परेशान रहते है वे,उनके दिमाग में चैन नहीं।
चूकी उनके हाथ है कहीं उनकी टांग कहीं।।

रख सकते नहीं हिसाब वे जिंदगी की किताब का।
जिंदगी के पन्नों में गुना है कही,और भाग कहीं।।

जाते जब महफ़िलो,उनका ध्यान रहता हैं कही।
पढ़ते जब वे गजल,उनका सुर और राग कहीं।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
4 Likes · 5 Comments · 701 Views
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