दर्द है, आँखों से मोती बन निकल ही जायेगा
दर्द है, आँखों से मोती बन निकल ही जायेगा
सिरफिरा बन अब तू किधर को जायेगा
ना होगा साथी कोई तेरे सफर का
अब तू ही बता तन्हा बन कहाँ जायेगा
जब होंगे दुश्मन तेरे चाहने वाले ही
विश्वास खुद ही अपनों से उठ जायेगा
कब बोला उसने की तुम मेरे हो
अब जनाज़ा तेरा भी उठाया जायेगा
कदम आज भी ज़ुस्तज़ू में है
मयकदा अपनी जगह छोड़, कहाँ जायेगा
जब रूह ही साथ छोड़ दे जिस्म का
तो बिन रूह कैसे रहा जायेगा
दरख़्त है सूखा हुआ आज
कल कली में नया पत्ता निकल जायेगा
भूपेंद्र रावत
22।09।2017