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14 Oct 2016 · 1 min read

तुम ही बताओ कैसे होगा सुधार

तुम ही बताओ कैसे होगा सुधार वहाँ पर,
हर बात को धर्म से जोड़ा जाए जहाँ पर।
देखो भगत सिंह को हर कोई बुला रहा है,
पर अपने घर नहीं दूसरों के घर यहाँ पर।

निजी हितों की राजनीति होती है हर पल,
स्वार्थ साधने को नेता बनते हैं आजकल।
समाज के नहीं जातों के ठेकेदार बन गए,
दिखा झूठे सपने अपनों को ही रहे हैं छल।

जरा देखो तुम व्यापारी बन गयी सरकारें,
कोई सुनने वाला नहीं किसे यहाँ पुकारें।
किसान को भाव नहीं पर महँगाई बढ़ गई,
जनता रोती रहे जमाखोर ऐसी मार मारें।

सच कहने वाले कहें कैसे सुनने वाले नहीं,
आज झूठों के होते सरेआम मुँह काले नहीं।
चापलूसी करने लगे कलमकार नेताओं की,
आज अक्ल पर लगे खोलते वो ताले नहीं।

सुलक्षणा बस अपना फर्ज निभाती रहना,
जिसे दिल कहे सही वो ही बात तुम कहना।
गरिबों, बेसहारों की लड़ाई लड़ना कलम से,
सच की राह पर चलना चाहे पड़े दुःख सहना।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

Language: Hindi
285 Views
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