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6 Nov 2016 · 1 min read

तुम्हारा पहला.. कभी पैग़ाम ही आये…….

ग़ज़ल
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किस्सा ओ कहानी ; मिरा क़लाम ही जाये
तस्वीरें बनें ;वो मुक़म्मल शाम ही आये

दीवाली मुबारक ; तुम्हें हम सब देते हैं
तुम्हारा पहला.. कभी पैग़ाम ही आये

तन्हा ‘ शब ‘ रवानी ‘ जुदाई ‘तड़पन’ रोना
क्या ही गज़ब हो .साथ अगर तमाम ही आये

वक़्त फिर से बदल जाये वादे फिर करे हमतुम
दुल्हन तुम ; दूल्हा मैं बनूँ ; आराम ही आये

इन्सां का वज़ूद ”बंटी ‘ अब उलट कर देखे
फलक ज़मीं सभी ज़गह अल्लाह राम ही आये

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bunty singh

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