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29 Jul 2022 · 1 min read

तन्हाँ महफिल को सजाऊँ कैसे

तन्हाँ महफिल को सजाऊँ कैसे
चले गए जो जहाँ से बुलाऊँ कैसे

फरियाद कौन सुनता है यहाँ
दुआओं में अब असर है कहाँ
खुदा ही रूठा मेरा मनाऊँ कैसे
तन्हाँ महफिल को सजाऊँ कैसे

मोहब्बत तो एक फसाना है
जिंदगी का नाम ही तराना है
साज-ए-दिल टूटा बजाऊँ कैसे
तन्हाँ महफिल को सजाऊँ कैसे

कोई उलझा है यूँ सवालों में
कोई खोया है बस खयालों में
राह किसी को मैं दिखाऊँ कैसे
तन्हाँ महफिल को सजाऊँ कैसे

हर कोई परेशान दिखता है
‘विनोद’कुछ हैरान दिखता है
अब हाल-ए-दिल सुनाऊँ कैसे
तन्हाँ महफिल को सजाऊँ कैसे

स्वरचित :——
( विनोद चौहान )

2 Likes · 255 Views
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