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11 Jun 2022 · 1 min read

डरता हूं

डरता हूं
कुछ पाने से पहले ही खोने से डरता हूं
हां मैं डरता हूं
बरसों रोया चीखा हूं अंधियारी काली रातों में
वो दामन सूखा नही अभी कैसे आ जाऊं बातों में
अब तो मैं शाम के नाम से ही थर थर थर कांपा करता हूं
सच कहता हूं हां डरता हूं
जिस पथ ने पग पग छला मुझे
धोखे पर धोखा मिला मुझे
उस पर कैसे विश्वास करूं
कैसे वो ही फिर आस करूं
फिर से ठग लेगा कोई मुझे
बस ये ही सोचा करता हूं
सच कहता हूं हां डरता हूं

Language: Hindi
8 Likes · 2 Comments · 499 Views
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