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25 Sep 2017 · 1 min read

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झूम झूम झूम बरसती ये रात
पिया के दरस को तरसती ये रात।

बरखा बैरन बनी हमारी
छम छम छम बरसाए फुहारी
बदरा संग गरजती ये रात
झूम झूम झूम बरसती ये रात।

जियरा मेरा जल जल जाए
याद बिछड़े मितवा की जो आए
हाय अगन सी दहकती ये रात
झूम झूम झूम बरसती ये रात।

—-रंजना माथुर दिनांक 24/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
Tag: गीत
391 Views
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