जिसको चुराया है उसने तुमसे
वैसे तो तुम्हारे नाम से,
चुरा लिया है उसने,
एक ऐसी चीज को,
जिसको रख दिया जाये अगर,
तो वह सोने की तरह होगी रोशन,
जलेगी नहीं वह कभी
अमिट है वह सच में।
छूना चाहा था किसी ने,
लगाना चाहा था किसी ने,
दाग तुम्हारे दामन पर,
तुमको देकर कोई लोभ,
मगर उसने बचा लिया,
तेरे पवित्र दामन को,
क्योंकि उसको थी तुमसे,
सच में सच्ची मोहब्बत।
उसको बहुत अच्छा लगता था,
तुम्हारा नाम और काम,
तुम्हारा उससे गुस्सा होना,
तुम्हारा उससे रूठना हर बात पर,
तुम्हारा खिलखिलाकर हंसना,
अपनी आँखों से मन की बात कहना,
इसीलिए वह करीब था तुम्हारे।
बहकाया था जमाने ने उसको,
तुम्हारे खिलाफ सच में बहुत,
कमियां तुम्हारी बताकर,
दाग तुम्हारे में बताकर,
करना चाहा था तुमसे दूर,
मगर वह दूर तुमसे नहीं हुआ,
क्योंकि उसको तुमसे वास्तव में,
सच्ची मोहब्बत थी दिल से।
आज चाहे जी रहे हो तुम,
अपनी-अपनी जिंदगी को,
अपने-अपने हिसाब से,
मगर उसने रखी है वह चीज,
एक अमानत के हिसाब से,
अपने पास सम्भालकर,
सोने की तरह पवित्र-बेदाग,
तुम्हारे नाम का प्रथम शब्द,
जिसको चुराया है उसने तुमसे।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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