Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2021 · 1 min read

छप्पय छंद “शिव-महिमा”

(छप्पय छंद)

करके तांडव नृत्य, प्रलय जग में शिव करते।
विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते।
देवों के भी देव, सदा रीझें थोड़े में।
करें हृदय नित वास, शैलजा सह जोड़े में।
प्रभु का निवास कैलाश में, औघड़ दानी आप हैं।
भज ले मनुष्य जो आप को, कटते भव के पाप हैं।।

*************

छप्पय छंद “विधान”

छप्पय एक विषम-पद मात्रिक छंद है। यह भी कुंडलिया छंद की तरह छह चरणों का एक मिश्रित छंद है जो दो छंदों के संयोग से बनता है। इसके प्रथम चार चरण रोला छंद के, जिसके प्रत्येक चरण में 24-24 मात्राएँ होती हैं तथा यति 11-13 पर होती है। आखिर के दो चरण उल्लाला छंद के होते हैं। उल्लाला छंद के दो भेदों के अनुसार इस छंद के भी दो भेद मिलते हैं। प्रथम भेद में 13-13 यानि कुल 26 मात्रिक उल्लाला के दो चरण आते हैं और दूसरे भेद में 15-13 यानि कुल 28 मात्रिक उल्लाला के दो चरण आते हैं।

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

Language: Hindi
1 Like · 583 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
अपनी कमी छुपाए कै,रहे पराया देख
अपनी कमी छुपाए कै,रहे पराया देख
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
Anand Kumar
कभी अपनेे दर्दो-ग़म, कभी उनके दर्दो-ग़म-
कभी अपनेे दर्दो-ग़म, कभी उनके दर्दो-ग़म-
Shreedhar
जस गीत
जस गीत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
न चाहिए
न चाहिए
Divya Mishra
लहर तो जीवन में होती हैं
लहर तो जीवन में होती हैं
Neeraj Agarwal
चुलबुली मौसम
चुलबुली मौसम
Anil "Aadarsh"
💐प्रेम कौतुक-548💐
💐प्रेम कौतुक-548💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भाग्य का लिखा
भाग्य का लिखा
Nanki Patre
तेरे बिना
तेरे बिना
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
शिव वंदना
शिव वंदना
ओंकार मिश्र
शहर माई - बाप के
शहर माई - बाप के
Er.Navaneet R Shandily
Stop getting distracted by things that have nothing to do wi
Stop getting distracted by things that have nothing to do wi
पूर्वार्थ
यह कब जान पाता है एक फूल,
यह कब जान पाता है एक फूल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आजा कान्हा मैं कब से पुकारूँ तुझे।
आजा कान्हा मैं कब से पुकारूँ तुझे।
Neelam Sharma
गुज़िश्ता साल
गुज़िश्ता साल
Dr.Wasif Quazi
"यादों के बस्तर"
Dr. Kishan tandon kranti
वेला
वेला
Sangeeta Beniwal
किस पथ पर उसको जाना था
किस पथ पर उसको जाना था
Mamta Rani
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
Anil Mishra Prahari
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
Phool gufran
🍁अंहकार🍁
🍁अंहकार🍁
Dr. Vaishali Verma
प्यार मेरा तू ही तो है।
प्यार मेरा तू ही तो है।
Buddha Prakash
*मौसम बदल गया*
*मौसम बदल गया*
Shashi kala vyas
दोहा छंद विधान
दोहा छंद विधान
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
* हिन्दी को ही *
* हिन्दी को ही *
surenderpal vaidya
प्रदर्शनकारी पराए हों तो लाठियों की। सर्दी में गर्मी का अहसा
प्रदर्शनकारी पराए हों तो लाठियों की। सर्दी में गर्मी का अहसा
*Author प्रणय प्रभात*
*सरस्वती जी दीजिए, छंद और रस-ज्ञान (आठ दोहे)*
*सरस्वती जी दीजिए, छंद और रस-ज्ञान (आठ दोहे)*
Ravi Prakash
Loading...